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________________ द्वितीय - अध्याय ॥ वेडलो रूख बैधे नहीं, दुनिया मालवें जाय ॥ : लिखिया खत कूड़ा पड़े, कहु चेला किण दाय ॥ ३५ ॥ गुरुजी साख नहीं ॥ गाड़ी पड़ी गवाड़े में, कुए खड़ी पंणिहार ॥ गोरी" ॐभी गोखेड़े, कहु चेला किण दाय ॥ ३६ ॥ गुरुजी 'जोड़ी नहीं ॥ कोस पिछोकड़ क्यूं पढ्यो, सोच बैटाऊ खाय ॥ अँणवीलोयो क्यूं पढ्यो, कहु वेला किण दाय ॥ ३७ ॥ गुरुजी फट गयो || गाड़ी लीके न दीसंवै, घोणी तेल न थाये ॥ कांटो लागो पांव में, कहु चेला किण दाय ॥ ३८ ॥ गुरुजी जोड़ी नहीं ॥ गुटमण गुटमण फिरतो दीठो, कोइ जोगी होयँगो ॥ नी गुरु जी सूत लपेयी, कोइ तांणी तती होयगो ॥ ना गुरु जी मुख लोहा जैड़ियो, कोइ सोनूं तायो होयगो ॥ ना गुरु जी पकड़ पैंछाड्यो, बेलो वैधग्यो ऐ गाहे रो ॥ अरथ कहो तो तुम गुरु हम चेलो ॥ ३९ ॥ लहू ॥ इति चेलों गुरु प्रश्नोत्तरं समाप्तम् ॥ यह द्वितीय अध्याय का चेलागुरु प्रश्नोत्तरनामकं तीसरा प्रकरण समाप्त हुआ || ७९ ५-लिखा हुआ ॥ ६१० - पानी भरनेवाली ॥ (दो मे ) और किवाड़ों १७ - विना मथा हुआ ॥ १९- लकीर, पक्ति - ॥ ( दो २७- नहीं ॥ ३२- सोना ॥ १–चट ( बड ) ॥ २–वृक्ष ॥ ३- बढता है ॥ ४-मालवा देश ॥ झूठा ॥ ७- शाखा, सुभिक्ष और गवाही ॥ ८- पडी हुई ॥ ९-मुहल्ला || ११ - स्त्री ॥ १२- खडी हुई है ॥ १३ - झरोखे मे ॥ १४ - जोडी का बैल की जोड़ी ॥ १५-पीछे का स्थान ॥ १६ - यात्री, सुसाफिर ॥ हुआ चर्मवस्त्र, फॅटा हुआ मार्ग और फटा हुआ दूध ॥ है ॥ २१- तेली की घाणी ॥ २२ होता है ॥ २३ - जोती हुई, २४-भनभनाता हुआ ॥ २५ – देखा ॥ २६- होगा ॥ चुनना ॥ ३० - चुनता हुआ ॥ ३१ - जडा हुआ ॥ दिया ॥ ३५-जल्दी ॥ ३६-बढ गया ॥ मारवाड देश मे अधिक प्रचार देखा जाता है गुरुं तथा चेले के आपस में यह प्रश्नोत्तर हुआ बात सत्य नहीं है— किन्तु यथार्थ बात यह है १८- फटा २० - दीखती जोड़ी ॥ में ) और जूतों की २८-लपेटा हुआ ॥ २९३३- तपाया ॥ - ३४- गिरा ३७-गाथा, छन्द ॥ ३८- मतलब ॥ ३९-इन दोहों का और बहुत से भोले लोगों का ऐसा ख्याल है कि किसी है और इस में बेला गुरु से जीत गया है, परन्तु यह कि— ये चेलागुरुप्रश्नोत्तररूप दोहे-किसी मारवाडी
SR No.010052
Book TitleJain Sampradaya Shiksha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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