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मञ्चम अध्याय ॥
७५३ १४-यदि मैना सामने बोले तो कलह, दाहिनी तरफ बोले तो लाभ और सुख, बाई तरफ बोले तो अशुभ तथा पीठ पीछे बोले तो मित्रसमागम होता है।
१५-ग्राम को चलते समय यदि बगुला वायें पैर को ऊँचा (ऊपर को) उठाये हुए तथा दाहिने पैर के सहारे खड़ा हुआ दीख पड़े तो लक्ष्मी का लाभ होता है।
१६ यदि प्रसन्न हुआ बगुला बोलता हुआ दीखे, अथवा ऊँचा (ऊपर को) उड़ता हुआ दीखे तो कन्या और द्रव्य का लाम तथा सन्तोष होता है और यदि वह भयभीत होकर उड़ता हुआ दीखे तो भय उत्पन्न होता है ।।
१७-ग्राम को जाते समय यदि बहुत से चकवे मिले हुए बैठे दीखें तो बड़ा लाभ और सन्तोष होता है तथा यदि भयभीत हो कर उड़ते हुए दीखें तो भय उत्पन्न होता है। - १८-यदि 'सारस बाई- तरफ दीखे तो महासुख, लाम और सन्तोष होता है, यदि एक एक बैठा हुआ दीखे तो मित्रसमागम होता है, यदि सामने बोलता हुआ दीखे तो राजा की कृपा होती है तथा यदि जोड़े के सहित बोलता हुआ दीखे तो स्त्री का लाम होता है परन्तु दाहिनी तरफ सारस का मिलना निषिद्ध होता है।
१९-आम को जाते समय यदि टिट्टिमी (टिंटोड़ी) सामने बोले तो कार्य की सिद्धि होती है तथा यदि बाई तरफ बोले तो निकृष्ट फल होता है।
२७-जाते समय यदि जलकुकुटी (जलमुर्गाबी) जल में बोलती हो तो उत्तम फल होता है तथा यदि जल के बाहर बोलती हो तो निकृष्ट फल होता है।
२१-ग्राम को चलते समय यदि मोर एक शब्द बोले तो लाभ, दो वार बोले तो स्त्री का लाभ, तीन वार बोले तो द्रव्य का लाम, चार वार बोले तो राजा की कृपा तथा पॉच वार बोले तो कल्याण होता है, यदि नाचता हुआ मोर दीखे तो उत्साह उत्पन्न होता है तथा यह मंगलकारी और अधिक लामदायक होता है।
२२-गमन के समय यदि समली आहार के सहित वृक्ष के ऊपर बैठी हुई दीखे तो बड़ा लाभ होता है, यदि आहार के विना बैठी हो तो गमन निष्फल होता है, यदि बाई तरफ बोलती हो तो उत्तम फल होता है तथा यदि दाहिनी तरफ बोलती हो तो उत्तम फल नहीं होता है।
२३-ग्राम को चलते समय यदि घुग्घू बाई तरफ बोलता हो तो उत्तम फल होता है, . यदि दाहिनी तरफ बोलता हो तो भय उत्पन्न होता है, यदि पीठ पीछे बोलता हो तो वैरी वश में होता है, यदि सामने बोलता हो तो भय उत्पन्न होता है, यदि अधिक शब्द १-बुरा अर्थात् अशुभ फल का सूचक । २-एक शब्द, अर्थात् एक वार ।
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