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________________ पञ्चम अध्याय || ७२९ लेना चाहिये कि - ज़माना बहुत ही श्रेष्ठ होगा अर्थात् राजा और प्रजानन सुखी रहेंगे पशुओं के लिये घास आदि बहुत उत्पन्न होगी तथा रोग और भय आदि की शान्ति रहेगी, इत्यादि । ( चन्द्र खर में ) जल तत्त्व चलता हो तो जान लेना चाहिये पृथिवी पर अपरिमित अन्न होगा, प्रजा सुखी होगी, राजा और पुण्य; दान और धर्म की वृद्धि होगी तथा सब प्रकार से २ - यदि उस समय कि बर्सात बहुत होगी, प्रजा धर्म के मार्ग पर चलेंगे, सुख और सम्पत्ति बढ़ेगी, इत्यादि । ३ - यदि उस समय सूर्य खर में पृथिवी तत्त्व और जल तत्त्व चलता हो तो जान लेना चाहिये कि - कुछ कम फल होगा । ४- यदि उक्त समय में दोनों खरों में से तो जान लेना चाहिये कि - बर्सात कम होगी, रोगपीड़ा देश उजाड़ होगा तथा प्रजा दुःखी होगी, इत्यादि । ५-यदि उक्त समय में चाहे जिस खर में बांयु तत्त्व चलता हो तो जान लेना चाहिये कि- राज्य में कुछ विग्रह होगा, बर्सात थोड़ी होगी, ज़माना साधारण होगा तथा पशुओं के लिये घास और चारा भी थोड़ा होगा, इत्यादि । ६ - यदि उक्त समय में आकाश तत्त्व चलता हो तो जान लेना चाहिये कि - बड़ा भारी दुर्भिक्ष पड़ेगा तथा पशुओं के लिये घास आदि भी कुछ नही होगा, इत्यादि । वर्षफल के जानने की अन्य रीति ॥ चाहे जिस खर में अभि तत्त्व चलता हो अधिक होगी, दुर्भिक्ष होगा, १ – यदि चैत्र सुदि पडिवा के दिन प्रातः काल चन्द्र खर में पृथिवी तत्त्व चलता हो तो यह फल समझना चाहिये कि वर्षा बहुत होगी, ज़माना श्रेष्ठ होगा, राजा और प्रजा में सुख का सञ्चार होगा तथा किसी प्रकार का इस वर्ष में भय और उत्पात नहीं होगा, इत्यादि । २ - यदि उस दिन प्रातःकाल चन्द्र खर में जल तत्त्व चलता हो तो यह फल समझना चाहिये कि यह वर्ष अति श्रेष्ठ है अर्थात् इस वर्ष में वर्सात; अन्न और धर्म की अतिशय वृद्धि होगी तथा सब प्रकार से आनन्द रहेगा, इत्यादि । ३ - यदि उस दिन प्रातःकाल सूर्य स्वर में पृथिवी अथवा जल तत्त्व चलता हो तो मध्यम अर्थात् साधारण फल समझना चाहिये । ४-यदि उस दिन प्रातःकाल चन्द्र खर में बा सूर्य स्वर में शेष ( अभिः वायु और आकाश ) तीन तत्त्व चलते हों तो उन का वही फल समझना चाहिये जो कि पूर्व मेष सङ्क्रान्ति के विषय में लिख चुके है, जैसे- देखो ! यदि सूर्य खर में अग्नि तत्त्व चलता हो ९२
SR No.010052
Book TitleJain Sampradaya Shiksha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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