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________________ पश्चम अध्याय || ७२५ ८–कृष्ण पक्ष ( अँधेरे पक्ष ) का खामी ( मालिक ) सूर्य है और शुक्ल पक्ष ( उजेले पक्ष ) का खामी चन्द्र है । ९- कृष्ण पक्ष की प्रतिपद् ( पड़िवा ) को यदि प्रातःकाल सूर्य स्वर चले तो वह पक्ष बहुत आनन्द से बीतता है । १० - शुक्ल पक्ष की प्रतिपद् के दिन यदि प्रातः काल चन्द्र स्वर चले तो वह पक्ष भी बहुत सुख और आनन्द से बीतता है । ११ - यदि चन्द्र की तिथि में ( शुक्ल पक्ष की प्रतिपद् को प्रातःकाल ) सूर्य खर चले तो क्लेश और पीड़ा होती है तथा कुछ द्रव्य की भी हानि होती है । १२ -- सूर्य की तिथि में ( कृष्ण पक्ष की प्रतिपद को प्रातःकाल ) यदि चन्द्र खर चले तो पीड़ा; कलह तथा राजा से किसी प्रकार का भय होता है और चित्त में चञ्चलता उस्पन्न होती है । १३–यदि कदाचित् उक्त दोनों पक्षों ( कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष ) की पड़िवा के दिन प्रातःकाल सुखमना खर चले तो उस मास में हानि और लाभ समान ( बराबर ) ही रहते हैं । १४ – कृष्ण पक्ष की पन्द्रह तिथियों में से क्रम २ से तीन २ तिथियाँ सूर्य और चन्द्र की होती हैं, जैसे-पड़िवा, द्वितीया और तृतीया, ये तीन तिथियाँ सूर्य की हैं, चतुर्थी, पञ्चमी और षष्ठी, ये तीन तिथियाँ चन्द्र की है, इसी प्रकार अमावास्या तक शेष तिथियों में भी समझना चाहिये, इन में जब अपनी २ तिथियों में दोनों ( चन्द्र और सूर्य ) खर चलते है तब वे कल्याणकारी होते है । १५-शुक्ल पक्ष की पन्द्रह तिथियों में से क्रम २ से तीन २ तिथियाँ चन्द्र और सूर्य की होती है अर्थात् प्रतिपद्, द्वितीया और तृतीया, ये तीन तिथियाँ चन्द्र की है तथा चतुर्थी, पञ्चमी और षष्ठी, ये तीन तिथियों सूर्य की हैं, इसी प्रकार पूर्णमासी तक शेष तिथियों में भी समझना चाहिये इन में भी इन दोनों ( चन्द्र और सूर्य ) खरों का अपनी २ तिथियों में प्रातःकाल चलना शुभकारी होता है । १६ - वृश्चिक, सिंह, वृष और कुम्भ, ये चार राशियाँ चन्द्र खर की हैं तथा ये ( राशियाँ ) स्थिर कार्यों में श्रेष्ठ हैं । १७--कर्क, मकर, तुल और मेष, ये चार राशियाँ सूर्य खर की है तथा ये ( राशियाँ ) चर कार्यों में श्रेष्ठ है । १८ - मीन, मिथुन, धन और कन्या, ये सुखमना के द्विखभाव लग्न हैं, इन में कार्य के करने से हानि होती है ।
SR No.010052
Book TitleJain Sampradaya Shiksha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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