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________________ . . 'पञ्चम अध्याय ॥ ६७१ पोरवाल ज्ञातिभूषण नररत्न वस्तुपाल और तेजपाल का वर्णन ॥ वीर धवल वाघेला के राज्यसमय में वस्तुपाल और तेजपाल, इन दोनों भाइयों का बड़ा मान था, वस्तुपाल की पत्नी का नाम ललिता देवी था और तेजपाल की पत्नी का नाम अनुपमा था । ___ वस्तुपौल ने गिरनार पर्वत पर जो श्री नेमिनाथ भगवान् का देवालय बनवाया था वह ललिता देवी का स्मारकरूप ( स्मरण का चिह्नरूप ) बनवाया था। किसी समय तेजपाल की पत्नी अनुपमा देवी के मन में यह विचार उत्पन्न हुआ कि-अपने पास में अपार सम्पत्ति है उस का क्या करना चाहिये, इस बात.पर खूब विचार कर उस ने यह निश्चय किया कि-आबूराज पर सव सम्पत्ति को रख देना ठीक है, यह निश्चय कर उस ने सब सम्पत्ति को रख कर उस का अचल नाम रखने के लिये अपने पति और जेठ से अपना विचार प्रकट किया, उन्हों ने भी इस कार्य को श्रेष्ठ समझ कर उस के विचार का अनुमोदन किया और उसके विचार के अनुसार आबूराज १-इन्हीं के समय में दशा और बीसा, ये दो तड़ पड़े हैं, जिन का वर्णन लेख के बढ़ जाने के भय से यहाँ पर नहीं कर सकते हैं। २-इन की वशावलि का क्रम इस प्रकार है कि: - . चण्डप चन्द्रप्रसाद अश्वराज (भासकरण), इस की स्त्री कमला देवी अश्वराज ( लुग मदनदेव वस्तुपाल पाल तेजपाल ,, - 'जेतसिंह लावण्यसिंह - . • ३-वम्बई इलाके के उत्तर में आखिरी टॉचपर सिरोही संस्थान में अरवली के पश्चिम में करीब सात माइल पर अरवली की घाटी के सामने यह पर्वत है, इस का आकार बहुत लम्बा और चौड़ा है अर्थात् इस फी लम्बाई तलहटी से २० माइल है, ऊपर का घाटमाथा १४ माइल है, शिखा २ माइल है, इसकी दिशा ईशान और नैत्य है, यह पहाड बहुत ही प्राचीन है, यह वात इस के खरुप के देखने से ही जान की जाती है, इस के पत्यर वर्तुलाकार (गोलाकार) हो कर मुंवाले (चिकने) हो गये हैं,, इस स्थिति का हेतु यही है कि इसके ऊपर बहुवं कालपर्यन्त वायु . और वर्षा आदि पश्च महाभूतों के परमाणुओं का परिणमन हुआ है, यह भूगर्भशास्त्रवेत्ताओं का मत है, यह पहाड समुद्र की सपाटी से घाटमाथा तक ४००० फुट है और पाया से ३००० फुट है तथा इस के सर्वान्तिम ऊँचे शिखर ५६५३ फुट हैं उन्हीं को गुरु शिखर कहते हैं, ईखी सन् १८२२ में राजस्थान के प्रसिद्ध इतिहासलेखक कर्नल टाड साहव यहाँ (भाबूराज) पर आये थे तथा यहाँ के मन्दिरों को देख कर अत्यन्त प्रसन्न हो कर उन की बहुत
SR No.010052
Book TitleJain Sampradaya Shiksha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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