SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 201
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चतुर्थ अध्याय ॥ वायु के कोप के कारण | अपान वायु के, दस्त के और पेशाब के वेग को रोकना, तिक्त तथा कषैले रसवाले पदार्थों का खाना, बहुत ठंढे पदार्थों का खाना, रात्रि को जागरण करमा, बहुत स्त्रीसंग (मैथुन) करना, बहुत परिश्रम करना, बहुत खाना, बहुत मार्ग चलना, अधिक बोलना, भय करना, रूखे पदार्थों का खाना, उपवास करना, बहुत खारी कडुए तथा तीखे पदार्थों का खाना, बहुत हिचके खाना और सवारी पर बैठ कर यात्रा करना, इत्यादि कार्य वायु को कुपित करने में कारण होते हैं । ३८९ इन के लिवाय - बहुत ठंढ में, बरसात की भीगी हुई जमीन में, बरसते समय में, स्नान करने के पीछे, पानी पीने के पीछे, दिन के पिछले भाग में, खाये हुए भोजन के पचने के पीछे और जोर से पचन (हवा) चल रहा हो उस समय में शरीर में वायु जोर करता है तथा शरीर में ८० प्रकार के रोगों को उत्पन्न करता है, उन ८० प्रकार के रोगों के नाम ये हैं: १- आक्षेपवायु - इस रोग में शरीर की नसों में हवा भरकर शरीर को इधर उधर फेंकती है । २ - हनुस्तम्भ - इस रोग में ठोडी वाढी से जकड कर टेढ़ी हो जाती है । ३- ऊरुस्तम्भ -- इस रोग में वादी से जंघा अकड़ कर चलने की शक्ति कम हो जाती है। ४ - शिरोग्रह - इस रोग में शरीर की नसों में वादी भर कर शिर को जकड़ देती और पीड़ा करती है । ५- बाह्यायाम -- इस रोग में पीठ की रंगों में वादी भर कर शरीर को धनुष के समान झुका देती है । ६ - अन्तरायाम-- इस रोग में छाती की तरफ से शरीर कमान के समान बांका (टेढ़ा ) हो जाता है । ७- पार्श्वशूल - इस रोग में पसवाड़ों की पसलियों में चसके चलते हैं । ८- कटिग्रह - इस रोग में वादी कमर को पकड़ के जकड़ देती है । ९ - दण्डापतानक- इस रोग में बादी शरीर को लकड़ी की तरह सीधा ही जकड़ देती है। १०- बल्ली इस रोग में वायु भर कर पैर, हाथ, जांघ, गोड़े और पीडियों का कम्पन करती है । ११ - जिह्वास्तम्भ - इस रोग में वादी जीभ की नसों को पकड़ कर बोलने की शक्ति को बन्द कर देती है । १२- अर्दित इस रोग में मुख का आधा भाग टेढ़ा होकर जीम का लोचा बँधता है और करड़ा ( सख्त ) हो जाता है ।
SR No.010052
Book TitleJain Sampradaya Shiksha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy