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चतुर्थ अध्याय॥ का उच्चारण करते हैं, फिर सब लोग मिल कर अत्यन्त हर्ष के उस नादान भोली मूर्ति से चपेट देते है कि जिस के शिरपर र उस के दूसरे ही दिन प्रातःकाल होते ही सव स्थानों में इस के की घोषणा (मुनादी) हो जाती है। ___ पाठक गण ! अब तो यह महान् रोग आप को प्रत्यक्ष प्रद सही यह किस धूमधाम से आता है ? क्या २ खेल खिलाता है ? किस प्रकार सव को बेहोश कर देता है कि उस गृह अड़ोसीपड़ोसीतक इस के कौतुक में वशीभूत हो जाते है । र ऐसे गाने बाजे के साथ में घर में दखल होता है कि जिस में नहीं होती है वरन यह कहना भी यथार्थ ही होगा कि सब ले. महारोग को बुलाते हैं कि जिस का नाम "वाल्यविवाह" (न्यून
पाठक गण ऊपर के वर्णन से समझ गये होंगे कि जो २ हुई है उन का मूल कारण यही बाल्यावस्था का विवाह है, इ समय के अच्छे २ वुद्धिमान् डाक्टर लोग भी पुकार २ कर से कुछ लाम नहीं है किन्तु अनेक हानियां होती हैं, देखिठे साहव (साविक प्रिन्सिपिल मेडिकल कालेज कलकत्ता) का के विवाह की रीति अत्यन्त अनुचित है, क्योंकि इस से शार जाता रहता है, मन की उमग चली जाती है-फिर सामाजिक ___ डाक्टर नीवीमन कृष्ण बोष का वचन है कि-"शारीरिक कारण हैं उन सब में मुख्य कारण न्यून अवस्था का विवाह ज की उन्नति का रोकनेवाला है।
मिसस पी. जी. फिफसिन (लेडी डाक्टर मुम्बई) का क. स्त्रियों में रुधिरविकार तथा चर्मदूषण आदि बीमारियों के आ
विवाह ही है, क्योंकि इस से सन्तान शीघ्र उत्पन्न होती है, , दूध पिलाना पड़ता है जब कि माता की रंगें हढ़ नहीं होती . होकर नाना प्रकार के रोगों में फंस जाती है।
डाक्टर महेन्द्रलाल सार एम. डी. का वचन है कि
गि
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