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________________ चतुर्थ अध्याय || पानी की परीक्षा तथा स्वच्छ करने की युक्ति ॥ FANPTF al www. १८१ अच्छा पानी रंग वास तथा स्वाद से रहित, निर्मल और पारदर्शक होता है, यदि पानी में सेवाल अथवा वनस्पति का मेल होता है तो पानी नीले रंग का होजाता है तथा यदि उस में प्राणियों के शरीर का कोई द्रव्य मिला होता है तो वह पीले रंग का हो जाता है । यद्यपि पानी की परीक्षा कई प्रकार से हो सकती है तथापि उस की परीक्षा का सामान्य और सुगम उपाय यह है कि- पानी को पारदर्शक साफ काच के प्याले में भर दिया जावे तथा उस प्याले को प्रकाश ( उजाले ) में रक्खा जावे तो पानी का असली रंग तथा मैलापन मालूम हो सकता है । किसी २ पानी में वास होने पर भी अनेक बार पीने से अथवा सूंघने से वह एकदम नही मालूम होती है परन्तु ऐसे मानी को उवाल कर उस की वास लेने से ( यदि उस में कुछ वास हो तो ) शीघ्र ही मालूम हो जाती है । यह जो पानी की परीक्षा ऊपर लिखी गई है वह जैन लोगों में प्रचलित प्राचीन परीक्षा है, परन्तु पानी की डाक्टरी ( डाक्टरों के मत के अनुसार ) परीक्षा इस प्रकार है किपानी को एक शीशी में भर कर उस को खूब हिलाना चाहिये, पीछे उस पानी को सूंघना चाहिये, इस के सिवाय दूसरी परीक्षा यह भी है कि - पानी में पोटास डालने से यदि वह वास देवे तो समझ लेना चाहिये कि पानी अच्छा नहीं है । यह भी जान लेना चाहिये कि पानी में दो प्रकार के पदार्थों की मिलावट होती हैउन में से एक प्रकार के पदार्थ तो वे है जो कि पानी के साथ पिघल कर उस में मिले रहते है और दूसरे प्रकार के वे पदार्थ है जो कि पानी से अलग होकर जानेवाले है - परन्तु किसी कारण से उस में मिल जाते है । काच के प्याले में पानी भर कर थोड़ी देर तक स्थिर रखने से यदि तलभांग में कुछ पदार्थ बैठ जावे तो समझ लेना चाहिये कि इस में दूसरे प्रकार के पदार्थों की मिलावट है पानी में क्षार आदि पदार्थों का कितना परिमाण है इस बात को जाननेके लिये यह उपाय करना चाहिये कि थोड़े से पानी को तौल कर एक पतीली में डालकर आग पर चढ़ा कर उस को जलाना चाहिये, पानी के जल जाने पर पतीली के पैदे में जो क्षार आदि पदार्थ रह नावें उन को कांटे से तौल लेना चाहिये, बस ऐसा करने से मालूम हो जायगा कि इतने पानी में क्षार का भाग इतना है, यदि एक ग्यालन ( One gallon ) पानी में क्षार आदि पदार्थों का परिमाण ३० ग्रीन ( 30 Gram वह पानी पीने के लायक गिना जाता है तथा ज्यो २ क्षार का ) तक हो तब तक तो परिमाण कम हो त्यों २
SR No.010052
Book TitleJain Sampradaya Shiksha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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