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________________ ६८ जैनसम्प्रदायशिक्षा || पानी से ही पका करती है, देखो । मलीनता बहुत से रोगों का कारण है और उस मलीनता को दूर करने के लिये भी सर्वोत्तम साधन पानी है । पानी की अमूल्यता तथा उस की पूरी कदर तब ही मालूम होती है कि- जब आवश्यकता होने पर उस की प्राप्ति न होवे, देखो। जव मनुष्य को प्यास लगती है तथा थोड़ी देर तक पानी नहीं मिलता है तो पानी के बिना उस के प्राण तड़फने लगते हैं और फिर भी कुछसमय तक यदि पानी न मिले तो प्राण चले जाते हैं, पानी के विना प्राण किस तरहसे चले जाते हैं ? इसके विषय में यह समझना चाहिये कि - शरीर के सब अवयवों का पोपण प्रवाही रस से ही होता है, जैसे-एक वृक्ष की जड़ में पानी डाला जाता है तो वह पानी रसरूप में होकर पहिले बड़ी २ डालियों में, बड़ी डालियों में से छोटी २ डालियों में और वहां से पत्तों के अन्दर पहुँच कर सब वृक्ष को हरा भरा और फूला फला रखता है, उसी प्रकार पिया हुआ पानी भी खुराक को रस के रूप में बना कर शरीर के सब भागों में पहुँचा कर उन का पोषण करता है, परन्तु जब प्यासे प्राणी को पानी कम मिलता है अथवा नहीं मिलता है तब शरीर का रस और लोहू गाढ़ा होने लगता है तथा गाढ़ा होते २ आखिर को इतना गाढ़ा हो जाता है कि उस ( रस और रक्त ) की गति बन्द हो जाती है और उस से प्राणी की मृत्यु हो जाती है, क्योंकि लोह के फिरने की बहुत सी नलियां बाल के समान पतली है, उन में काफी पानी के न पहुँचने से लोहू अपने खाभाविक गाढ़ेपन की अपेक्षा विशेष गाढ़ा हो जाता है और लोहू के गाढ़े होजाने से वह (लोह) सूक्ष्म नलियों में गति नहीं कर सकता है । यद्यपि पानी बहुत ही आवश्यक पदार्थ है तथा काफी तौर से उस के मिलने की आवश्यकता है परन्तु इस के साथ यह भी समझ लेना चाहिये कि - जिस कदर पानी की आवश्यकता है उसी कदर निर्मल पानी का मिलना आवश्यक है, क्योंकि - यदि काफी तौर से भी पानी मिल जावे परन्तु वह निर्मल न हो अर्थात् मलीन' हो अथवा विगड़ा हुआ हो तो वही पानी प्राणरक्षा के बदले उलटा प्राणहर हो जाता है इस लिये पानी के विषय में बहुत सी आवश्यक बातें समझने की हैं-जिन के समझने की अत्यन्त ही आवश्यकता है कि - जिस से खराब पानी से बचाव हो कर निर्मल पानी की प्राप्ति के द्वारा आरोग्यता में अन्तर न आने पावे, क्योंकि खराब पानी से कितनी बड़ी खराबी होती है और अच्छे पानी से कितना बड़ा लाभ होता है-इस बात को बहुत से लोग अच्छे प्रकार से नहीं जानते हैं किन्तु सामान्यतया जानते हैं, क्योंकि - मुसाफरी में जब कोई बीमार पड़ जाता है तब उस के साथवाले शीघ्र ही यह कहने लगते हैं कि-पानी के बदलने से ऐसा हुआ है, परन्तु बहुत से लोग अपने घर में बैठे हुए भी खराब पानी से बीमार पड़ जाते है और इस बात को उन में से थोड़े ही समझते है कि खराब पानी से यह बीमारी
SR No.010052
Book TitleJain Sampradaya Shiksha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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