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________________ प्राचीन वेद के बिगड़ने का इतिहास । ३६ उत्पन्न भया, तद पीछे लोकापवाद के भय से उस जात पुत्र को पीपल वृक्ष के नीचे छोड़ कर दोनों वहां से चल घरे, क्योंकि संतान होना . काम क्रीड़ा की पूर्णतया सबूती है, इस वास्ते इय वार्ता सुभद्रा ने जाणी, उस बालक के पास आई तो चालक पीपल का फल स्वयमेव जो उस के मुंह में गिरा, उस को चबोल रहा था, तब उस का नाम पिप्पलाद रखा और अपने स्थान लाके यत्न से पाला, वेदादि शास्त्र पढ़ाये, पिप्पलाद बड़ा बुद्धिशाली विदग्ध हुआ, बहुत वादियों का मान मर्दैन करने लगा, ये कीर्ति सुण याज्ञवन्द्रय सुलसा, अज्ञानपणे वाद करने भाये सुभद्रा मासी के कहने से दोनों को अपने माता पिता जाना, तब बहुत क्रोध में पाया, इन निर्दयों ने मुझे मारणार्थ बन में डाल दिया था, अत्र इनों से बदला लेना राजसभा में प्रतिज्ञा कराई, और कहा अश्वमेधादिक हे याज्ञवल्क्य, तेने प्रवचन करा है, ये यज्ञ में हवन किये जाते है जो नाना जंतुगण उन की और कराने वाले की और प्रोहित नो बेद मंत्रोच्चारण करता है, इन तीनों की क्या गति होती है, यावाक्य और सुलसा ने कहा तीनों स्वर्ग जाते हैं तब पिप्पलाद बोला, पुत्र का पहला धर्म है कि माता पिता को स्वर्ग पहुंचावे, पशुगण तो अवाच्य कहते नहीं कि मुझे स्वर्ग पहुंचानो, इस छल को नहीं जानते, याज्ञवल्क्य सुलसा पशुयज्ञ को सिद्ध करने कहा, हां माता मेध पिता मेघ भी अगर वेदाज्ञा होय तो कर सकते हैं । तब पिप्पलाद ऐसी श्रुति प्रथम ही बना रखी थी वह ऐसी युक्ति से स्थापन कर के पिप्पलाद ने कहा तूं मेरा पिता है, ये मेरी माता है मैं तुम को स्वर्ग पहुंचाऊंगा, मासी की साक्षी दे दी, पिप्पलाद दोनों को जीते जी अग्नि कुंड में होम दिया, मीमांसक मतका पिप्पलाद मुख्य आचार्य हुआ, इस का घातली नामा शिष्य हुआ, बस जीव • हिंसा करणे रूप यज्ञ का बीज यहां से उत्पन्न हुआ, याज्ञवल्क्य के वेद बनाने में कुछ भी शंका नहीं, क्योंकि वेद में लिखा है “याज्ञवल्क्येति होवाच" (याज्ञवल्क्य ऐसा कहता हुआ) तथा आधुनिक वेदों में जो जो शाखा हैं, वे वेदमंत्रका मुनियों के सवत्र से ही हैं, इस वास्ते जो आवश्यक शास्त्र में लिखाहै कि जो जीवहिंसा संयुक्त वेद है वह सुलसा और याज्ञवल्क्यादिकों
SR No.010046
Book TitleJain Digvijay Pataka
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages89
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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