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________________ } • जैनधर्म की प्राचीनता का इतिहास । ३१ चाहिये, शिखा भी रखना चाहिये, साधु तो पंच महादूत पालते हैं और मेरे तो सदा स्थूल जीव की हिंसा का त्याग रहो और साधु तो सदा निःकंचन है अर्थात् परिग्रह रहित है और मुझ को एक पवित्रिका रखनी चाहिये, साधु तो शील से सुगंधित है और मुझे चंदनादि सुगंधी लेखी चाहिये, साधु मोह रहित है, शुभ मोह युक्त को छत्र रखना चाहिये, साधु पांवों में जूते नहीं पहनते मुझ को उपानत् रखना चाहिये, साधु तो निर्मल हैं, इस वास्ते उनों के शुक्लाम्वर है, मैं क्रोध, मान, माया, लोभ, इन चारों कपायों से मैला हूं, इस वास्ते मुहं को कषायले, गेरूं के रंगे ( भगवें) वस्त्र 'रखना चाहिये, साधु तो सचित्त जल के त्यागी हैं, इस वास्ते मैं छान के सचित्त (कच्चा जल ) पीऊंगा, स्नान भी करूंगा। इस तरह स्थूल तृषा वादादि से निवृत्त हुआ, ऐसा भेष मरीचि ने बनाया, इहां से परिब्राजकों की उत्पत्ति हुई । मरीचि भगवान के साथ ही विचरता रहा, लोक साधुओं से विसरश लिंग देख के मरीचि से धर्म पूछते थे, तब मरीचि साधुओं का यथार्थ धर्म कहता था, और अपना पाखंड वेष, स्वकल्पित यथार्थ कह देता था, जो पुरुष इस के पास धर्म सुख दीक्षा लिये चाहता, उस को भगवान के साधुओं के पास दिला देता था, एकदा समय मरीचि रोग ग्रसित हुआ, साधु कोई भी इस की वैयावृत्य करे नहीं, तब मरीचि ने बिचारा मैं असंयति हूं इस वास्ते साधु मेरी वैयावृत्य करते नहीं और मुझे करानी भी उचित नहीं, अच्छा होने बाद कोई चेला भी करना चाहिये, जिस से ग्लान दशा में सहायक होय, केई दिनों से निरोग हुआ, इस समय एक कपिल नाम का राजपूत मरीचि पास धर्म सुन प्रतिवोध पाया, और पूछने लगा, जो धर्म साधु का तुम ने कहा सो तुम नहीं पालते, मरीचि ने कहा मैं पालने को समर्थ नहीं हूं, तू ऋभपदेव पास जाकर दीक्षा ले, तब मरीचि समवसरण में गया, भगवान को छत्र चामर सिंहासनादि प्रातिहार्य युक्त और देवांगनों से गुणगीयमान देख भारी कर्मापने से पीछा मरीचि के पास आया और बोला ऋषभदेव पास तो धर्म नहीं हैं, वह तो राज्य लीला से भी अधिक सुख का भोक्ता है, इहां एक साधु लिखते हैं ऋषभदेव उस समय निर्वाण प्राप्त हो चुके थे, ये वार्चा पीछे की है, निदान मरीचि ने कहा ऋषभदेव के
SR No.010046
Book TitleJain Digvijay Pataka
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages89
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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