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________________ (७७) १-स्थूल स्थल (Solid ) जो टुकड़े होने पर बिना नीसरी चीज के न मिलें । जैसे पन्धर, लकडी कांगज़। २-स्थूल द्रव्यपदार्थ ( Liquids ) जो अलग करने पर मिल जायें। जैसे दूध, पानी, शरबत । ३-स्थूल सूक्ष्म-जा आंखों से दीखे, परन्तु हाथों से न पकडा जासके । जैसे धूप, छाया, प्रकाश । ४-सूक्ष्म स्थूल-जो आँखों से न दीखे, परन्तु और इन्द्रियों से जाना जावे। जैसे हवा, शब्द आदि । ५-सूक्ष्म-जो किसी भी इन्द्रिय से न जाना जावं । उनके कार्यों से उनका अनुमान किया जाय । जैसे नैजस वर्गणा ( Electric folecule ) कार्मण वर्गणा (Kirmir Jolecule ) आदि। ६-सून्मसूक्ष्म भेद पुबल का परमाणु है। * बाढर बाढर बादर वादर सुहमंच सुहम थूलंत्र । सुहमश्च सुहम सुहमं धगदियं होदि छन्भेय ॥ ६०२ ।। (गोम्मटसार जीवकागड ७२ ) इस गाथा का अर्थ ऊपर आगया। सहो बन्धो सुहमो थूलो सठाण भेद तम छाया । उजादादव सहिया पुग्गल इन्चस्स पज्जाया ॥१६॥ (द्रव्य संग्रह) भावार्थ-शब्द, ध, सक्षम, स्थल, शरीगकार, खण्ड, अन्धकार, छाया, उद्योत, आतप, ये दश पुद्गल की अवस्थाओं के दृष्टान्त हैं। - - -
SR No.010045
Book TitleJain Dharm Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherParishad Publishing House Bijnaur
Publication Year1929
Total Pages279
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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