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________________ २१० हिन्दी-जैन-साहित्य-परिशीलन १६ वीं शताब्दी में ब्रह्म निनदास युगप्रवर्तक ही नहीं, युगान्तरकारी कवि हुए हैं। इन्होने आदिपुराण, श्रेणिक चरित, सम्यक्त्वरास, यशोधर रास, धनपालरास, व्रतकथाकोश, दशलक्षणव्रत कथा, सोलह कारण, चन्दनपाठी, मोक्षसतमी, निदीप सप्तमी आदि मानवता के प्रतिष्ठापक ग्रन्थ रचे । इसी शताब्दीमं चतुम्मलने नीम्बर गीत बनाया और धर्मदासने धर्मोपदेश श्रावकाचार रचा। हिन्दी बैन कान्यके विकासके लिए सत्रहवीं शताब्दी विशेष महत्व की है। इस शतीम गद्य और पद्य दोनोंम साहित्य लिखा गया। महाकवि वनारसीदास, रूपचन्द और रायमल जैसे श्रेष्ठ कवियोको उत्पन्न करनेका गौरव इसी शतीको है । इनके अतिरिक्त त्रिभुवनदास, हेमविजय, कुंवरपाल और उदयराजपतिकी रचनाएँ भी कम गौरवपूर्ण नहीं है । गद्य लेखको पाण्डे राजमल्ल एवं अखरानकी रचनाएँ प्रमुख मानी जाती हैं। राजभूषणने लोक निराकरण रास, ब्रह्मवस्तुने पार्श्वनाथ रासो; मुनिकल्याण कीर्तिने होली प्रवन्ध; नयनसुखने मेघमहोत्सव, हरिकल्पने हरिकल्या रूपचन्दने परमार्थ दोहा शतक, परमार्थगीत, पद सग्रह, गीत परमार्थी, पञ्चमंगल, नेमिनाथ रामो; रायमलने हनुमन्त कथा, प्रद्युम्न चरित, सुदर्शन रासो, निदाप सप्तमीवन कथा, नेमीश्वर रासो, श्रीपाल रासो, भविग्यदत्त कथा; त्रिभुवनचन्द्रने अनित्यपञ्चाशत् , प्रास्ताविक दोहे, पद्व्य वर्णन और फुटकर कवित्त; वनारसीदासने बनारसीविलास,, नाटक समयसार, अर्द्धकथानक और नाममाला; कल्याणदेवने देवरान बच्छरान चउपई; मालदेवने भोनग्रवन्ध, पुरन्दरकुमार चउपई पाण्डे निनदासने जम्बूचरित्र, बानसूर्योदय; पाण्डे हेमराजने प्रवचनसार टीका, पंचास्तिकाय टीका और भाषा मत्तामरः विद्याक्मलने भगन्ती गीताः मुनिलावायने रावण-मन्दोदरी संगद; गुणसूरिने ढोला मागर; लूणसागरने अञ्जनासुन्दरी संवाद, मानशिक्ने मापा कवि रस मनरी; केशव
SR No.010039
Book TitleHindi Jain Sahitya Parishilan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1956
Total Pages259
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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