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दश - कालिक-सूत्र |
अथ पंचम अध्ययन प्रथम उद्देश ।
अयोग्य आहार याहा आधा-कर्म-दोपे । स्व ग्राम हइते याहा आहृत वा आसे ॥ साघुर उद्देश्ये यदि कभु पाककाले । रन्धनं पात्रेते पुनः आर द्रव्य दिले || 'हइवेक भ्रमक्रमे ये खाद्य प्रस्तुत । श्रावकेर गृहे याहा विधान वर्जित ॥ निजेर साधुर जन्य एकत्र मिश्रित । खाद्य याहा कोन गृहे हइवे प्रस्तुत ॥ ना करिवे कभु साधु से खाद्य ग्रहण । दोषयुक्त पानाहार करिवे वर्जन ॥५५ भिक्षार ग्रहणे कभु, शङ्कार उदये । जिज्ञासा करिवे साधु संयत हृदये ॥ कि प्रकार समुद्भव काहा द्वारा कृत । काहार उद्देश्ये इहा हयेछे रक्षित || जानिया प्रकृत तत्त्व संयत सुजन । निःशङ्क आहार शुद्ध करिवे ग्रहण ॥५६ पानाहार खाद्य स्वाद्ये यदि भ्रमवशे । सजीव कुसुम वीज वनस्पति मिशे ॥ कल्पित नहे ए भिक्षा वलि तपोधन । चले यावे अन्य स्थाने भिक्षारकारण || ५७/५८ अशन पानीय खाद्य, वाद्य वा राखिले । जलोपरि पिच्छल वा काइयुक्त जले ॥