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________________ . [१३] • आमाके सर्वविषये सर्वान्तःकरणे साहाय्य करेन । सर्दारसहर वास्तव्य श्रीमद गाधिया ताहार निज वाड़ीते आत्मीयभावे आमाके राखिया एवं आमार अभाव अनुयोग यथासाध्य दूर करिया निर्विघ्ने पद्यानुवाद करिवार सुयोग प्रदान करेन । एइ ग्रन्थेर ऐतिह्य उद्धत करिवार समय स्वधर्म्मपरायण सभापति महाशयेर योग्यपुत्र श्रीगोपीचाँद चोपड़ा बि, एल, महाशय सर्वान्त करणे आमार साहाय्य करेन । पण्डित प्रवर स्वनामधन्य चिकित्सक आशुकवि श्रीरघुनन्दन शास्त्री चुरूवास्तव्य श्रीघनश्याम शास्त्री एवं लाड्नु निवासी श्रीपान्नालाल भंशाली आमार यथेष्ट साहाय्य करेन । याहा देर साहाय्ये एइ ग्रन्थखानिर पद्यानुवादे कृतकार्य हइयाकि, ताहादिगके आमि आमार आन्तरिक धन्यवाद प्रदान करितेछि । उहादुर साहाय्य व्यतीत आमार एइ दुरूह कार्य सम्भवपर हइत ना । उहादेर सस्नेह दृष्टिपाते आमार विदेशवासओ सुखप्रद हइया छिल । हिंसा निवृत्तिर उपायस्वरूप एइ प्रन्थखानि पड़िया यदि काहार प्राणे अहिंसा साधने ओ संयमे विन्दुमात्रओ प्रेरणा जन्मे ताहा ess आमार परिश्रम सार्थक ज्ञान करिव । विनीतअन्थकार ।
SR No.010036
Book TitleAgam 42 Mool 03 Dashvaikalik Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamnibhushan Bhattacharya
PublisherParshwanath Jain Library Jaipur
Publication Year
Total Pages207
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_dashvaikalik
File Size5 MB
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