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________________ द्विवेदीजी का सम्पूर्ण साहित्य [७१ अप्रकाशित रह गई हैं। इन तीनों पुस्तकों का विस्तृत अध्ययन एवं विवेचन डॉ० उदयभानु सिंह ने किया है। वस्तुतः, इन कृतियों की खोज का श्रेय भी उन्हीं को है। • १. कौटिल्य-कुठार : प्रस्तुत ग्रन्थ पाण्डुलिपि के रूप में नागरी-प्रचारिणी सभा (काशी) के कला-भवन में संगृहीत है। द्विवेदीजी के स्वभाव की उग्रता और भाषाशैली की ओजस्विता का यह एक उत्तम उदाहरण है। इस कृति में नागरी-प्रचारिणी सभा एवं बाबू श्यामसुन्दरदास की तीव्र आलोचनाएँ की गई है। प्रस्तुत पुस्तक तीन खण्डों में विभक्त है : सभा की सभ्यता, वक्तव्य और परिशिष्ट । नागरीप्रचारिणी सभा के साथ द्विवेदीजी का जो सैद्धान्तिक मतभेद चला करता था, उसी की प्रतिक्रिया-स्वरूप 'कौटिल्य-कुठार' का प्रणयन द्विवेदीजी ने किया था। परन्तु, उन्होंने इसे प्रकाशित करना उचित नहीं समझा। २. सोहागरात : अपनी तरुणावस्था में द्विवेदीजी ने इस रसीली पुस्तक को लिखा था। उन्होंने स्वयं स्वीकार किया है कि यह अँगरेजी के कवि 'बायरन'-रचित 'ब्राइडल नाइट' का छायानुवाद है। यह पहले-पहल पति के घर आई हुई एक बाला स्त्री का उसकी सखी को लिखा गया पत्र है। इसके पचास पद्यों में नवविवाहिता सखी ने अपनी अविवाहिता सखी कलावती के प्रति सोहागरात में की गई छह बार रति का प्रस्तावना-सहित पूरे विस्तार से वर्णन किया है। यह रचना पर्याप्त मात्रा मे अश्लील है और इसके प्रकाशित होने पर निश्चय ही द्विवेदीजी का व्यक्तित्व कलुषित हो जाता। इस साहित्यिक अवनति से बचने के लिए द्विवेदीजी अपनी पत्नी के आभारी हैं; क्योंकि उन्होंने ही 'सोहागरात' को अपने सन्दूक में बन्द कर अपने पति को ऐसी रचना की ओर प्रवृत्त होने पर फटकारा था। द्विवेदीजी ने स्वयं लिखा है : ....इस तरह मेरी पत्नी ने तो मुझे साहित्य के उस पंक-पयोधि में डूबने से बचा लिया । आप भी मेरे उस दुष्कृत्य को क्षमा कर दें, तो बड़ी कृपा हो।' इसी अश्लीलता एवं पत्नी की इच्छा के कारण द्विवेदीजी ने 'सोहागरात' को प्रकाशित नहीं किया। आज भी यह पुस्तक उनके दोलतपुर-स्थित मकान में पड़ी ३. तरुणोपदेश : तरुणों को स्वास्थ्य, संयम आदि के साथ-साथ ब्रह्मचर्य-पालन का उपदेश देने के लिए प्रस्तुत कृति की रचना द्विवेदीजी ने सन्. १८९४ ई० में की थी। १. डॉ० उदयभानु सिंह : 'महावीरप्रसाद द्विवेदी और उनका युग', पृ०५८। २. आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी : 'मेरी जीवन-रेखा', 'भाषा' : द्वि० स्मृ० अंक, पृ० १५॥
SR No.010031
Book TitleAcharya Mahavir Prasad Dwivedi Vyaktitva Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShaivya Jha
PublisherAnupam Prakashan
Publication Year1977
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size26 MB
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