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________________ ४८ ] आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी : व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व समय पर ही मैंने भेजी। मैंने तो यहाँतक किया कि कम-से-कम छः महीने आगे की सामग्री सदा अपने पास प्रस्तुत रखी। सोचा कि यदि मैं महीनों बीमार पड़ जाऊँ, तो क्या हो ?” अपनी पत्रिका के अंक को समय की इस पाबन्दी के साथ परिश्रम सहित निकलवानेवाले सम्पादक अब कहाँ हैं ? उनके इन्ही गुणों पर रीझकर इण्डियन प्रेस के मालिक श्रीचिन्तामणि घोष ने कहा था : 'हिन्दुस्तानी सम्पादको मे मैने वक्त की पाबन्दी और कर्त्तव्यपालन के विषय मे दृढप्रतिज्ञ दो ही आदमी देखे है, एक तो रामानन्द बाबू (श्रीरामानन्द चटर्जी) और दूसरे आप।' सरस्वती की ही भाँति अपने जीवन क्रम को भी एक बँधे हुए समय में चलाने की आदत द्विवेदीजी की थी। उनकी दिनचर्या निश्चित थी । सुबह उठने; लिखने, भोजन करने, टहलने, लोगों से मिलने आदि सबका समय निश्चित था । एक बार एक आइ० सी० एस० महोदय को उनसे मिलने के लिए आधे घण्टे तक प्रतीक्षा करनी पड़ी थी; क्योंकि द्विवेदीजी का मिलने का समय नही हुआ था । द्विवेदीजी वादे के बड़े पक्के और समय के पूरे पाबन्द थे । यदि कभी उनके मुँह से निकल गया कि आपके घर अमुक दिन अमुक समय पर आऊँगा, तो विघ्न समूह के होते हुए भी वचन पालन करते थे । समयज्ञता के इन्हीं गुणों के कारण उन्हे अपने पूरे जीवन मे संयम अथवा दृढता की कमी नहीं महसूस हुई। कभी (झ) न्यायप्रियता : अपने वैयक्तिक जीवन एवं साहित्यिक क्षेत्र में द्विवेदीजी पूर्ण रूप से पक्षणत-रहित व्यवहार करते थे । लेखक उनके लिए परिचित हों अथवा अपरिचित, सबकी रचनाओं में वे समान भाव से काट-छाँट करते थे। इसी भाँति, दोष देखने पर वे अपने अतिप्रिय शिष्यों एवं मित्रों को भी डाँटने से बाज नहीं आते थे। इसी पक्षपातहीनता के साथ उन्होंने 'सरस्वती' में नये-पुराने सभी लेखकों को स्थान दिया । न्यायप्रियता का उनका यह गुण 'सरस्वती' के सम्पादन से अवकाश लेने पर और भी पल्लवित हुआ। अपने गाँव दौलतपुर जाने पर कुछ समय तक वे ऑनरेरी मजिस्ट्रेट रहे और उसके बाद ग्राम-पंचायत के सरपंच रहे । इन पदों पर रहते हुए उन्होंने न्याय में सदा निष्पक्ष - भावना से काम लिया । उनकी कठोर न्यायप्रियता से अनेक लोग असन्तुष्ट हुए, किन्तु द्विवेदीजी ने इसकी कुछ भी परवाह नहीं की । वे न्याय पर डटे रहे । १. आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी : 'मेरी जीवन रेखा', 'भाषा' : द्वि० स्मृ० अंक, पृ० १५-१६ ।
SR No.010031
Book TitleAcharya Mahavir Prasad Dwivedi Vyaktitva Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShaivya Jha
PublisherAnupam Prakashan
Publication Year1977
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size26 MB
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