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________________ द्विवेदी युग की पृष्ठभूमि एवं परिस्थितियाँ [ ११ सेना का पूरा व्ययभार देश पर आ पड़ा । सैनिक व्यय के बढ़ने तथा उसके फलस्वरूप करों के बढने से भारत की आर्थिक दशा दयनीय हो गई। डॉ० रामचन्द्र मिश्र ने तत्कालीन आर्थिक स्थिति का इन शब्दों में स्पष्टीकरण किया है : "देश की आर्थिक प्रगति पूर्ववत् ही असन्तोषजनक थी । अकाल और भुखमरी से देश बड़ा पीड़ित और जर्जरित था । कृषकों एवं कारीगरों की दशा दिनानुदिन शोचनीय हो रही थी । अँगरेजी - सरकार स्वार्थप्रधान थी । इससे उनके द्वारा सहृदयतापूर्वक देश की दीन-हीन दशा को सुधारने का प्रयास किया ही नही गया । "" बीसवीं शती के प्रारम्भ के उपरान्त भारत की आर्थिक स्थिति में जो दयनीयता छाई रही, उसके फलस्वरूप देश के नवजागरित समाज मे कई नई चेतनाओं जन्म लिया । एक ओर गाँवों की निश्चिन्तता एवं कृषिप्रधान ग्रामीण सभ्यता का उत्तरोत्तर विनाश होता गया, तो दूसरी ओर उद्योगों तथा व्यवसाय के पश्चिमोन्मुखी वैज्ञानिक विकास के कारण नागरिक सभ्यता का विकास हुआ । नगरो मे ब्रिटिशो की शोषण पूर्ण आर्थिक नीति का विरोध भी स्वदेशी आन्दोलन के रूप मे प्रारम्भ हुआ । इस स्वदेशीवाले नारे को भारतेन्दु ने ही अपने युग में वाणी दी थी, परन्तु सबसे पहले सन् १९०३ ई० में ही इसे कार्यान्वित किया जा सका । साहित्यकारों ने भी स्वदेशीआन्दोलन एवं आर्थिक शोषण को अपनी रचनाओं मे अभिव्यक्ति दी । इस प्रकार, द्विवेदी युग में भारतीय जनता एवं उसके साहित्य मे अपनी दरिद्रता एवं विदेशी शोपण से निवृत्ति पाने की चेतना जगी । सांस्कृतिक परिस्थितियाँ धार्मिक एवं सांस्कृतिक क्षेत्र में द्विवेदी युग अपने पूर्ववर्ती युग से भिन्न नही था । उन्नीसवी शताब्दी के अन्त में जिन सास्कृतिक आन्दोलनो ने जन्म लिया था, उन्ही की विचारधाराएँ इस युग में भी विकासशील रहीं । अनेक सामाजिक कुरीतियो एवं अराजकता का जो हस्तिदल भारतेन्दुयुगीन समाज को कुचल रहा था, वही धार्मिक एवं सांस्कृतिक मान्यताओ के कदलीवन में भी घुस पड़ा था। सामाजिक एवं . सम्बन्ध यह था कि अधिकाश सामाजिक कुरीतियाँ धर्म की आड़ में जीवित थीं। इस कारण तत्कालीन धार्मिक परिस्थिति अनाचारो एवं अन्धविश्वासों से ओतप्रोत हो गई थी । हिन्दू धर्म की धार्मिक अवनति पर मुसलमानों के इस्लामप्रचार एवं अँगरेजों के ईसाई धर्म प्रचार का भी पर्याप्त प्रभाव पड़ा । परन्तु इसी काल मे भारतीय जनता ने सांस्कृतिक पुनर्जागरण की दिशा में भी प्रयास प्रारम्भ १. डॉ० रामचन्द्र मिश्र : 'श्रीधर पाठक तथा हिन्दी का पूर्व - स्वच्छन्दतावादी काव्य' पृ० ६३ ।
SR No.010031
Book TitleAcharya Mahavir Prasad Dwivedi Vyaktitva Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShaivya Jha
PublisherAnupam Prakashan
Publication Year1977
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size26 MB
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