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________________ कविता एवं इतर-साहित्य [ २०५ इन सात पद्यात्मक अनुवादों के अतिरिक्त कई संस्कृत-काव्यकृतियों का गद्यात्मक भावार्थबोधक अनुवाद भी द्विवेदीजी ने प्रस्तुत किया था । यथा : (क) 'भामिनीविलास' (सन् १८९१ ई०) : पण्डितराज जगन्नाथ की कृति 'भामिनीविलास' का गद्यानुवाद । (ख) 'अमृतलहरी' (सन् १८९६ ई०) : पण्डितराज जगन्नाथ की ही इसी नाम की रचना का गद्यानुवाद । (ग) 'महाभारत मूल आख्यान' (सन् १९१० ई० ) : यह वेदव्यास-रचित मूल संस्कृतग्रन्थ 'महाभारत' का गद्यानुवाद नहीं है, अपितु श्रीसुरेन्द्रनाथ ठाकुर की अंगरेजी-पुस्तक 'महाभारत' का स्वच्छन्दतापूर्वक द्विवेदीजी द्वारा किया गया अनुवाद है। (घ) 'रघुवंश' (सन् १९१३ ई०) : महाकवि कालिदास-कृत महाकाव्य 'रघुवंश' का भावार्थबोधक गद्यानुवाद। (ङ) 'कुमारसम्भव, (सन् १९१७ ई०) : महाकवि कालिदास के ही महाकाव्य 'कुमारसम्भव' का भावार्थबोधक गद्यानुवाद । (च) 'मेघदूत' (सन् १९१७ ई०) 'महाकवि कालिदास-कृत खण्डकाव्य 'मेघदूत' ___ का भावार्थबोधक गद्यानुवाद। (छ) 'किरातार्जुनीय' (सन् १९१७ ई०) 'महाकवि भारवि के महाकाव्य 'किरातार्जुनीय' का भावार्थबोधक गद्यानुवाद । इतने बड़े पैमाने पर अनुवाद-कार्य में संलग्न होने में द्विवेदीजी का उद्देश्य हिन्दीपाठकों को संस्कृत-काव्य-सुरभि से परिचित कराना एवं हिन्ती-त्राकानीमा को विस्तृति प्रदान करना ही था। इस क्रम में उन्हें कालिदास, भारवि, पण्डितराज जगन्नाथ, भर्तृहरि आदि जैसे संस्कृत-काव्य के शीर्षस्थ उन्नायकों की कविता का हिन्दी मे रूपान्तरण करने का अवसर मिला। अनुवाद की दिशा में उन्होंने शब्दानुवाद की अपेक्षा भावानुवाद को अधिक महत्त्व दिया। इसी सिद्धान्त का परिपालन उन्होंने अपने अधिकांश अनूदित-काव्य में किया है। उनका मत था : ___ "भाव ही प्रधान है, शब्द-स्थापना गौण । शब्दों का प्रयोग तो केवल भाव प्रकट करने के लिए होता है । अतएव, भावप्रदर्शक अनुवाद ही उत्तम अनुवाद है।"१ इस कारण, द्विवेदीजी के अनुवादों में भावों को प्रस्तुत करने की चेष्टा सर्वोपरि परिलक्षित होती है। भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए शब्द और भाव के क्रमविन्यास में उन्होंने यदा-कदा स्वच्छन्दता से भी काम लिया है । उनके अनुवाद-कार्य के कतिपय उदाहरण द्रष्टव्य हैं : १. आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी : 'कुमारसम्भव', पृ० १।
SR No.010031
Book TitleAcharya Mahavir Prasad Dwivedi Vyaktitva Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShaivya Jha
PublisherAnupam Prakashan
Publication Year1977
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size26 MB
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