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________________ - २०४ ] आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी : व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व उन्होंने एक ओर विविध सामयिक समस्याओं पर आधृत एवं प्रकृति-सौन्दर्यसम्बन्धी मौलिक कविताओं की रचना की और दूसरी ओर संस्कृत के कई प्रसिद्ध काव्यग्रन्थों का पद्यात्मक अनुवाद भी प्रस्तुत किया । द्विवेदीजी का अनूदित काव्य : आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी की साहित्यिक गतिविधियों का प्रारम्भ ही संस्कृत की कविताओं के रूपान्तरण के साथ हुआ था । २१ वर्ष की आयु से ही वे इस दिशा में प्रवृत्त हो गये थे । श्रीरामप्रीत ने उनके काव्य- विकास के इस प्रारम्भिक काल (सन् १८८५ से १८८९ ई० तक) को 'अनुवाद -काल' की संज्ञा दी है । वस्तुत:, इस अवधि में द्विवेदीजी मूलतः संस्कृत के भर्तृहरि, जयदेव, कालिदास, पुष्पदन्त, पण्डितराज जगन्नाथ जैसे काव्यकारों की कृतियों का व्रजभाषा एवं खड़ी बोली में अनुवाद करने में ही संलग्न रहे । यह कार्य उन्होंने सन् १८८५ ई० में ही पुष्पदन्त विरचित 'श्री महिम्न:स्तोत्र' के रूपान्तरण के साथ प्रारम्भ किया था । यह अनुवाद सन् १८८९ ई० में प्रकाशित हुआ था । इस पुस्तक की भूमिका में अनुवादक की कठिनाइयों का उल्लेख करते हुए स्वयं द्विवेदीजी ने लिखा था : " एक भाषा के छन्द को दूसरी भाषा के छन्द में उल्था करना कुछ तो आप ही कठिन होता है, तिसपर इस पन्थ में प्रवेश करने का यह मेरा प्रथम ही प्रयास है ।"२ फिर भी, द्विवेदीजी अनुवाद कार्य में लगे रहे और उन्होंने कई अनुवाद प्रस्तुत किये । उनके अनूदित काव्यग्रन्थ अधोलिखित है : १. 'विनयविनोद' (सन् १८८९ ई० ) : भर्तृहरिकृत वैराग्यशतक' का अनुवाद | २. 'विहारवाटिका' (सन् १८९० ई० ) : जयदेव - विरचित ख्यात कृति 'गीतगोविन्द' का एक सौ गणात्मक छन्दों में किया गया संक्षिप्त भावानुवाद | ३. 'स्नेहमाला' (सन् १८९० ई० ) : भर्तृहरि के 'श्रृंगारशतक' का अनुवाद | ४. 'ऋतुतरंगिणी' (सन् १८९१ ई० ) : महाकवि कालिदास कृत 'ऋतुसंहार' का पद्यात्मक छायानुवाद | ५. 'गंगालहरी' (सन् १८६१ ई०) : पण्डितराज जगन्नाथ के इसी नाम के काव्य का अनुवाद | ६. 'श्रीमहिम्नः स्तोत्र' (सन् १८९१ ई० ) : पुष्पदन्त-रचित 'श्रीमहिम्नः स्तोत्र' का अनुवाद | ७. 'कुमारसम्भव' (सन् १९०२ ई० ) : महाकवि कालिदास के महाकाव्य 'कुमारसम्भव' के पाँच सर्गो का अनुवाद | १. निर्मल तालवार : (सं०) 'आचार्य द्विवेदी', पृ० ११२ । २. उपरिवत् ।
SR No.010031
Book TitleAcharya Mahavir Prasad Dwivedi Vyaktitva Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShaivya Jha
PublisherAnupam Prakashan
Publication Year1977
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size26 MB
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