SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 19
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ द्विवेदी युग की पृष्ठभूमि एवं परिस्थितियाँ [ ५ तक सम्पूर्ण भारतीय जनता ने अँगरेजो का आधिपत्य स्वीकार कर लिया था । सन् १८५७ ई० के गदर की आग शान्त हो गई थी, ईस्ट इण्डिया कम्पनी के स्थान पर भारत का शासन ब्रिटेन के सम्राट् के अधीन हो गया था और सन् १८८५ ई० में भारतीय राष्ट्रीय काँगरेस का जन्म हो चुका था । बीसवी शती के प्रारम्भ होते ही सन् १९०१ ई० से भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड कर्जन का शासन प्रारम्भ हुआ । अधिकांश लोगों का मत है कि भारतव्यापी अराजकता के लिए जो अकेला व्यक्ति उस समय उत्तरदायी था, उसका नाम लॉर्ड कर्जन था । ऐसे अभिमतों के प्रकाशन का कारण यही है कि कर्जन ने अपने हठी स्वभाव के कारण विभिन्न भारत-विरोधी कार्य कर भारतीयों को असन्तुष्ट कर दिया था । निरंकुश एवं कठोर नीतिवाले लॉर्ड कर्जन ने अपने दमनकार्य से भारतवासियो के मन में अँगरेजी शासन के विरुद्ध भावनाओं को जागरित किया । बंगाल का विभाजन - सम्बन्धी उनके निर्णय ने आग में घी का काम किया । फलस्वरूप, देश की राष्ट्रीय चेतना ने भो क्रान्तिकारी रूप धारण करना प्रारम्भ किया । उस समय की राष्ट्रीय स्थिति के प्रसंग में श्रीपट्टाभिसीतारामैया ने लिखा है : "सरकार की उत्तरोत्तर उग्र और नग्न रूप धारण करनेवाली दमन-नीति के कारण नवचेतना भी सचमुच व्यापक, विस्तृत और गहरी होती गई। देश के एक कोने में जो घटना होती थी, वह सारे देश में फैल जाती थी । "१ भारतेन्दुयुगीन शासन-सुधार की माँग करनेवाली राष्ट्रीय चेतना इस अवधि में स्वशासन की अधिकार घोषणा करने लगी। इस दृष्टि से भारतीय काँगरेस में भी क्रान्तिकारी परिवर्तन के लक्षण दीख पड़े । सन् १९०६ ई० में काँगरेस के कलकत्ता- अधिवेशन मे श्रीदादाभाई नौरोजी ने सर्वप्रथम स्वराज्य का प्रस्ताव रखा। इसी वर्ष राजनीतिक स्तर पर भारतीय मुसलमानों के दल 'मुस्लिम लीग' का भी जन्म हुआ । इसके पूर्व सन् १९०५ ई० में लॉर्ड कर्जन के स्थान पर मिण्टो वायसराय नियुक्त हो चुके थे । उन्होंने भारत-सचिव माले के साथ मिलकर भारतव्यापी मिण्टो - मार्ले-धार की योजना तैयार की। परन्तु इस सुधार को अंगरेजो की निजी दुर्बलता ही समझा गया तथा राष्ट्रीय आन्दोलन को और अधिक वेग से चलाया जाने लगा । सन् १९१० ई० में पंचम जॉर्ज ग्नि पर आरूढ हुए और सन् १९११ ई० में रानी मेरी - सहित उनके भारत आगमन के अवसर पर दिल्ली में विशाल दरबार का आयोजन किया गया। इसी समय भारत की राजधानी कलकत्ता से हटाकर दिल्ली लाई गई । सन् १९०८ ई० मे खुदीराम बोस द्वारा बम फेंके जाने से लेकर सन् १९१२ ई० में लॉर्ड हार्डिंग पर बम फेके जाने की घटना तक ब्रिटिश शासन के प्रति भारतीय जनमानस में उत्पन्न रोष १. श्रीपट्ाभिसीतारामैया : 'काँगरेस का इतिहास', भाग १, पृ० ६४ ।
SR No.010031
Book TitleAcharya Mahavir Prasad Dwivedi Vyaktitva Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShaivya Jha
PublisherAnupam Prakashan
Publication Year1977
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size26 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy