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________________ ४ ] आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदीजी : व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व होकर चित्रभाषा-शैली में कलापूर्ण रचनाओं की ओर, अलंकार, गुण और रस से ध्वनि और व्यंजना की ओर; साधारण प्रेम, वीरता और त्याग की भावना से मानवजीवन की उच्च तृप्तियों और भावनाओं की व्यंजना की ओर हुआ।"१ । द्विवेदी-युग की इन साहित्यिक देनों की अभिशंसा करने के साथ-ही-साथ डॉ० श्रीकृष्ण लाल ने इस युग-विशेष के भी अन्तर्विभाग किये है : सन् १९००-१६०८ ई० : अराजकता-काल सन् १९०८-१९१६ ई० : साहित्यिक व्यवस्था-काल सन् १९१६-१९२५ ई० : साहित्यिक उत्कर्ष-काल इस विभाजन का द्विवेदी-युगीन सन्दर्भो में अपना निजी औचित्य है। द्विवेदीयुग की माहित्य-सर्जना के पीछे उस युग की राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं आर्थिक परिस्थितियों का विशेष योग था। इस कारण, इस युग का वास्तविक महत्त्वपूर्ण निरूपण इन प्रेरक परिस्थितियो के विस्तृत अध्ययन के अभाव में उसी प्रकार अधूरा है, जिस प्रकार भारतेन्दु युगीन साहित्य का मूल्याकन समाजशास्त्रीय सन्दर्भ के विना अपूर्ण रह जाता है। भारतेन्दु-युग में भारत के राजनीतिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक क्षितिज पर अराजकता एवं विदेशी शासन से उत्पन्न शोषण के जैसे काले बादल छाये हुए थे, द्विवेदी-युग की स्थिति उससे भिन्न नही थी। डॉ० शत्रुघ्न प्रसाद ने ठीक ही लिखा है : "वह युग सांस्कृतिक तथा राजनीतिक आन्दोलनों के उबुद्ध तथा आर्थिक शोषण से पीड़ित था। चिन्तन के क्षेत्र मे विज्ञान-जन्य हेतुवाद, मानवतावाद, राष्ट्रीयता तथा रागवादी एवं कर्मवादी जीवन-दर्शन के विचार फैल रहे थे। देश-विदेश के विभिन्न विचारकों के नव-चिन्तन बौद्धिक वातावरण मे सन्तरण कर रहे थे। द्विवेदी-युग पुनर्जागरण तथा नवोत्थान के युग में प्रवेश कर चुका था, जबकि भारतेन्दु-युग नवयुग का अभिनन्दन कर उसमें प्रवेश करने का प्रयत्न कर रहा था। इन्हीं परिस्थितियों तथा विचारों से साहित्य भी अनुप्राणित हो रहा था ।"२ तयुगीन साहित्य को जिन विशेष परिस्थितियों ने सबसे अधिक प्रभावित किया, उनमें निम्नांकित की चर्चा की जा सकती है : राजनीतिक परिस्थितियाँ : द्विवेदी-युग भारतीय इतिहास में बीसवीं शताब्दी के प्रथम चरण के रूप में स्वीकृत है। इस नई शती के प्रारम्भ होने तक कश्मीर से कन्याकुमारी - १. डॉ० श्रीकृष्ण लाल : 'आधुनिक हिन्दी का विकास', पृ० २५-२६ । २. डॉ० शत्रुघ्न प्रसाद : 'द्विवेदीयुगीन हिन्दी-नाटक', पृ० १९-२० ।
SR No.010031
Book TitleAcharya Mahavir Prasad Dwivedi Vyaktitva Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShaivya Jha
PublisherAnupam Prakashan
Publication Year1977
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size26 MB
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