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________________ ४६ करता था, उसके चार लडके बडे सूरवीर थे । बडेका नाम उदयसिंह था, और उसको पिताने राजगादी दी हुई थी । छोटोंके क्रमवार नाम थे- सामन्तपाल १ अनङ्गपाल २ और त्रिलोकसिंह ३ । उदयसिंहकी राजसत्तामें छोटे तीन भाइयोंको आजीविका पूरी न मिलनेसे वह राज्य छोडकर चले गये | और वस्तुपालकी कीर्त्ति सुनकर धोलके आये । वस्तुपालके पूछने पर उन्होंने अपना सारा हाल सुनादिया । वस्तुपालने अपने - खामी राजाको उनकी मुलाकात कराई और सारा हाल कह सुनाया । राजाने भोजनसमय उनको साथ बैठाकर भोजन कराया, और पूछा कि कहो तुम कितनी आजीविकासे हमारे पास रह सक्ते हो ? | सामन्त पालने कहा- राजाधिराजकी तर्फसे एक एक भाईको दोदो लाख अशरफियें मिलनेपर हम तावेदार हजूकी छाया रहनेको उत्सुक हैं । राजाने इस वातपर अनादर प्रकट करते हुए कहा दो दो लाख अशरफियें ? दो लाख अशरफी किसको कहते हैं ? दो लाख के हिसाब से तुम तीनो भाइयोंको ६ लाख सोनामोहर देनी चाहिये तो ख्याल करो कि ६ लाख सोनामोहरोंमे हम कितने भोंको नौकर रख सकते हैं ? यह बात असंगत है, तुम खुशीसे रहना चाहो तो योग्य वार्षिकपर रहो, नही तो तुमारी इच्छानुसार अन्य स्थान ढूंढलो | इतना सुनतेही राजकुमार वहांसे चल निकले । वस्तुपाल तेजपालने राजाको
SR No.010030
Book TitleAbu Jain Mandiro ke Nirmata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitvijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1922
Total Pages131
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size5 MB
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