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________________ प्रथम पर्व ५११ आदिनाथ-चरित्र से हीन लक्ष पूर्व का और अन्तर नव्वे कोटि सागरोपमका होगा। भहिलपुरमें दृढ़रथ राजा और नन्दादेवीके पुत्र शीतल नामसे दसवें तीर्थङ्कर होंगे। उनका सुवर्ण जैसा वर्ण, लक्ष पूर्व की आयु, नब्बे धनुषकी काया, पच्चीस हज़ार पूर्वका व्रतपर्याय और नौ कोटि सागरोपमका अन्तर होगा । सिंहपुर में विष्णु राजा और विष्णुदेवीके पुत्र श्रेयांस नामसे ग्यारह तीर्थङ्कर होंगे । उनकी सुवर्ण जैसी कान्ति, अस्सी धनुषोंकी काया, चौरासी लाख वर्षकी आयु, इक्कीस लाख वर्षका व्रतपर्याय तथा छत्तीस हज़ार और छाछठ लाख वर्षसे तथा सौ सागरोपमसे न्यून एक करोड़ सागरोपमका अन्तर होगा। चम्पापुरीमें वसुपूज्य राजा और जयादेवीके पुत्र वासुपूज्य नामसे बारहवें तीर्थङ्कर होंगे। उनका वर्ण लाल, आयु बहत्तर लाख वर्षकी और काया सत्तर धनुषके समान, दीक्षा-पर्याय चौवन लाख वर्षकी और अन्तर चौवन सागरोपमका होगा। काम्पिल्य नगरमें राजा कृतवर्मा और श्यामादेवीके पुत्र विमल नामके तेरहवे तीर्थङ्कर होंगे। उनकी -साठ लाख वर्षकी आयु, सुवणकी सी कान्ति और साठ धनुष की काया होगी। इनके ब्रतमें पन्द्रह लाख वषेव्यतीत होंगे और वासुपूज्य तथा इनके मोक्षमें तीस सागरोपमका अन्तर होगा । अयोध्या सिंहसेन राजा और सुयशादेवीके पुत्र अनन्त नामके चौदहवें तीर्थङ्कर होंगे। इनकी सुवर्णकीसी कान्ति, तीस लाख वर्षको आयु, और पचास धनुषोंकीसी ऊंची काया होगी। इनका व्रत-पाय साढ़े सात लाख वर्षका और विमलनाथ तथा...
SR No.010029
Book TitleAadinath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratapmuni
PublisherKashinath Jain Calcutta
Publication Year
Total Pages588
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, & Mythology
File Size21 MB
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