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________________ प्रथम पर्व १७७ आदिनाथ-चरित्र जिस समय सौधर्मेन्द्र मेरु पर्वत के ऊपर आया, उस समय महाघोषा घण्टी से ख़बर पाकर, अट्ठाईस लाख देवों से घिरा हुआ त्रिशूलधारी वृषभवाहन ईशान कल्पाधिपति ईशानेन्द्र अपने पुष्पक • नामक आभियोगिक देवों द्वारा बनाये हुए पुष्पक विमान में बैठ कर दक्खन दिशा की राहसे, ईशान कल्प से नीचे उतरकर और ज़रा तिरछा चलकर, नन्दीश्वर द्वीप में आ, उस द्वीप के ईशान कोण में स्थित रतिकर पर्वतपर, सौधर्मेन्द्र की तरह अपने विमान का छोटा रूप बनाकर, मेरु पर्वत पर भगवान् के निकट भक्ति सहित आया। सनतकुमार इन्द्र भी १२ लाख विमानवासी देवताओं से घिरकर और सुमन नामक विमान में बैठकर आया । महेन्द्र नामक इन्द्र, आठ लाख विमान-वासी देवताओं सहित, श्रीवत्स नामक विमान में बैठकर, मनके जैसी तेज़ चालसे आया। ब्रह्मन्द्र नामक इन्द्र, विमान-वासी चार लाख देवताओंके साथ, नंद्यावर्त नामक विमानमें बैठकर, स्वामी के पास आया। लान्तक नामक इन्द्र, पचास हज़ार विमान-वासी देवताओं के साथ, कामयव नामक विमानमें बैठकर जिनेश्वर के पास आया। शुक्र नामक इन्द्र, चालीस हज़ार विमान-वासी देवताओं के साथ, पीतिगम नामक विमानमें बैठकर, मेरू पर्वत पर आया। सहस्रार नामक इन्द्र छः हज़ार विमान-वासी देवताओंके साथ मनोरम नामक विमानमें बैठकर, जिनेश्वरके पास आया। आनँतप्राणत देवलोकका इन्द्र, चार सौ विमान
SR No.010029
Book TitleAadinath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratapmuni
PublisherKashinath Jain Calcutta
Publication Year
Total Pages588
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, & Mythology
File Size21 MB
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