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________________ (५) अभिधान चिन्तामणि यह कोषका ग्रन्थ सर्वत्र प्रसिद्ध है । इनकेपर आपके बनाये हुए व्याकरणके सूत्रोसे शब्दीकी व्युत्पत्ति विग्रह आदि प्रमाण बतलानेवाली सुबोघ टीकाभी आपनेही लिखी है। अनेकार्थ संग्रह । इसमे एक एक शब्दके कितने कितने पर्याय शब्द होत है वे मी दिये है । और प्रारंभके एकही श्लोक लक्ष्यमें लेनसे कोइभी अभीष्ट शब्द विना परिश्रमसे नीकाल सकते है । अर्थात्-इसमें अन्य कोशोकी तरह अनुक्रमणिकाकी अपेक्षा नही रहती है। तया अनेकार्थकैरवाकर कौमुदी यह नामकी टीकाभी आपकीही लिखी हुई है । लिङ्गानुशासन इसमें लिङ्गोका परिपूर्ण ज्ञान होनेका बताया हैं । और संस्कृतमें कोइमी ऐसा शब्द रहने न पाया होकि जिनका निश्चयरुपसे ज्ञान प्राप्त करनेके लिये निराशा होना पडे। निघंटु परिशिष्ट, देशी नाममाला, इन सवको उपर भी सुविवेचक विस्तृत टीकाये रचि हैं। काव्यानुशासन ( अलंकार ग्रन्थ) ___ इस ग्रन्थकी रचना सुन्दरतासे अच्छी पद्धतिमें सूत्ररुपसे करनेमें आल हैं। शब्दीका विविध प्रकारका सामर्थ्य नव रसोका स्वरुप, काव्यके समस्त गुणदोष, विविध प्रकारके अलंकार और साहित्य संबन्धी समस्त उल्लेख उनके निर्दोष लक्षणोके प्रतिपादन के साथ चातुर्यतापूर्वक समावेश करनेमें आये हैं। और इसके पर ग्रन्थकर्ताने स्वयंही अलंकार चुडामणि नामकी टींका और विवेक नामका बिवरण भी साथ दीया है । इसी ग्रन्थकी रचनासे आचार्यश्रीका साहित्य रसमें भी विशद् पाण्डित्यता प्रगट होती है।
SR No.010029
Book TitleAadinath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratapmuni
PublisherKashinath Jain Calcutta
Publication Year
Total Pages588
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, & Mythology
File Size21 MB
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