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________________ आदिनाथ-चरित्र १०२ प्रथम पव . नवा भव ललितांग का सुविधि वैद्य के घर जन्म। वर्तमान नाम जीवानन्द वैद्य। ___ व्याधिग्रस्त मुनि से मिलन। चिरकाल तक देवताओं के भोग भोगकर, उम्र पूरी होने पर, बर्फ जिस तरह गल जाती है; उसी तरह वनजंघ का जीव वहाँ से च्यव कर, जम्बू द्वीप के विदेह क्षेत्र स्थित क्षितिप्रतिष्ठित नगर में, सुविधि वैद्य के घर में, जीवानन्द नामक पुत्र रूप से पैदा हुआ। उसी समय, शरीरधारी धर्म के चार भेद हों ऐसे चार बालक और भी उस नगर में उत्पन्न हुए। उनमें से पहले, ईशानचन्द्र राजा की कनकवती नाम की रानी से महीधर नामक पुत्र का जन्म हुआ। दूसरे; सुनासीर नामक मन्त्रीकी लक्ष्मी नाम की स्त्री से, लक्ष्मीपुत्र के समान, सुबुद्धि नामक पुत्र हुआ। तीसरे; सागरदत्त सार्थवाह की अभयमती नाम की स्त्री से पूर्णभद्र नाम का पुत्र उत्पन्न हुआ ; और चौथे धनसेठी की शीलमती नाम्नी स्त्री ले शीलपुञ्ज के जैसा गुणाकर नामक पुत्र पैदा हुआ। बच्चों को रखनेवाली स्त्रियों की चेष्टा और रात-दिन कीरखवाली से वे बालक, अङ्ग के सब अवयव जिस तरह साथ-साथ बढ़ते हैं उसी तरह, साथ-साथ बढ़ने लगे; अर्थात् नाक,कान,जीभ आँख, हाथ,पैर,पेट, पीठ प्रभृति शरीरके अवयव या अज़े जिस तरह एक
SR No.010029
Book TitleAadinath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratapmuni
PublisherKashinath Jain Calcutta
Publication Year
Total Pages588
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, & Mythology
File Size21 MB
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