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________________ १२० राति अंधारी लवई तिमिरी, उत्तरन उनयण, हाया गयण, दिति चोर, नाई मोर पर बरस काराधर, पामीरणा प्रवाह बलहलह वाहि ऊपरि वेला वल-- पर्वत का नीकरम विछूटई, मरिया सरोवर फूटइ । १ वर्षे रत्नाकर का वर्ष वर्णन देखिए: मेकम, area मेचकता, विद्युल्लताक तरंग, कदम्ब सौरभ विश्वरक संचार, दर्दरक कोलाहल, धाराक संपात, आदित्य तु छता, पृथ्वी सौहित्य, कर्तृचमक संभार, भौबधीक उपाय, नदीक समृधि विरहीक उत्कण्ठा, auto erraftar, vfeos, इःसंचार काम्य वीथ वैदैविक विलम्ब, कन्दम्पर्क प्रेमाधिक, युवती सौहृद एवम् सर्व्वगुण सम्पूर्ण वर्ष दे। 3 वर्णन के इस क्रम में कथा का प्रवाह भी आगे बढ़ता रहता है। कथा की धारावाहिकता देखिए: विसि रत्नमंजरी कुँअरि राजा रहई वीनती करावी विदा कुक्षिग जोडवा मावी हि सम परिवार सभी अनेक प्रकारि कस्तूरिका रिका, लीलावती पद्मावती चंद्रावती-- अनेक सभी यतईवी सहति विहा बावी पिवारet प्रणाम मीपजावी उत्संग बइठी दिव्य रूप देवी Tears मनि चिंता मठी । यह योग्य कवण वर, विनर, किं विद्याचर इसी बीच गरेश्वर बरोबर मी दृष्टि दोषी इसी वाली साथी हुई बहुमान देकर राजा स्वयंवर भी टिक परिपातिक नाम कालिय दिवस राजा के नवीन पनि बैरा पनि राजा चन्द्र विक माकिन इसी माता कही बाइक म वीडिष्ट देवता सानिध्य कर, सर्व विश्न हर -आयुक०पू० 100 वडा २ वर्षरत्नाकर: सुमी विकुमार चटर्जी संपादित १९ ३- प्रा०का०० पृ० १०१ ४- वही, पृ० १०३ वीकार
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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