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________________ ११३ बाबावबोध संबक हिन्दी गडब रमना विशाल संख्या में उपलब्ध है। इन ऋषियों में तथा प्रसिद्ध लेखकों के अतिरिक्त गद्य साहित्य को विकसित करने वाली अनेक रस्मा और भी मिलती है। जयशेखर सूरि(Pre-t) इस काम के प्रमुख गइय लेखक थे जिन्होंने १९ ग्रन्थों का प्रजन क्यिा। अयोसर सूरि अपने समय के प्रसिदध कवि तथा भाचार्य रहे है। निमकी जैन अजैम वियों पर उपलध काव्यों का परिचय हम बहने अध्यायों में गा चुके हैं। निमुक्न दीपक प्रबन्ध स व्यवसायों के इस निर्माता में गय मन्थों में भी अपना स्थान बताया है। इनका प्रमुख अन्ध श्रावक ब्रावविवार है। इसके अतिरिक्त इस काल के गद्यकारों में सपा के श्री भारत्न मुरि का भवत्य विवरण बालावबोध (to .४५) महसगाणि (० १५.) का पड़ावश्यक बालाबोध आदि अन्य प्रमुख है। इन लेखकों की रचनाओं में प्रौद मड्य के वान होने है। अनेक कलियां ऐसी भी उपलध होती है जिनके की मासी . रनाओं में प्रमुख है- श्रावक व्रतादि अतिचार( ६) तथा कालिकाचार्य क्या (सं० ०४८५) इनमें कालिकाचार्य कथा बड़ी महत्वपूर्ण है। गद्य की शैली में मारना काम का सा रस घोलती प्रासादिक शैली में माधुर्य का उन्मेष इम्टी नाहटाजी के भंडार में यह रकमा पुरक्षित हैन का साल कामय क्या प्रभावपूर्ण और बनुप्रासाला योजना स्टम्यबाल और दाम्पों की बाकी माती है शादार इस परंपरा लीक: - - - - -नाहित्य का चिािमाधी मोहनलाल देखाई-टि...more मपुर कवियो- माय -श्री देसाई। -मौकीनी बंडार बबई पुरविनाटाबी की सूचनानुसार) -मबारद मंडार बीकानेर वा मानवालम्बीकानेर। जारी रात विविनियर
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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