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________________ ६६ (११) प्रेम वार्यावर्त में भी इसी प्रकार के छोटे छोटे अनेक राज्य की स्थापना हुई। उदाहरणार्थ उत्तरापथ में काबुल तथा पंजाब का प्रसिद्ध राजवंश पूर्व में कामरुप के वंश बंगाल में पाल तथा सेन और कलिंग उड़ीसा के राजवंश, कश्मीर में ककेटिक तथा उत्पल बैंक, दक्षिण में बदमी के वाक्य देवगिरि के यादव aT AT के काकतीय आदि। इन राज्यों में भी परस्पर मेल नहींथा, पर saet freकृतिक स्थिति में अधिक अन्तर नहीं है। इनमें कभी कभी विवाह और गुद्दों से भी सम्पर्क मिल जाता है इस प्रकार इन विभिन्न वंशों की उक्त स्थिति को देखते हुए राजवंश काल की राजनैतिक स्थिति बहुत संतोषजनक प्रतीत नहीं होती। मध्यदेश में परस्पर युद्ध होते रहे। पारस्परिक स्पर्थी बिवाह, आदि युद्ध के कारण थे। साम्राज्यलिप्सा से विभिन्न क्रांतियां हुई। नींव कमजोर होती गई। इन परिस्थितियों के होने पर भी यह स्पष्ट है कि इन राजाओं ने संस्कृत, प्राकृत और पत्र के महाकवि तथा लेखक पैदा किः । स्वयंम् पुस्पदन्त, fageafa बादि अनेक इनके प्रति ही है। परन्तु इन होने वाले युद्धों की क्रोड़ में एक ऐसी भयंकर विदेशी बाग फैली जिसने कला संस्कृति तथा साहित्य के अनेक मोठों को जलाकर डाक कर दिया। बाद में राजबंध मिलकर रह सकते तो इस्लाम और शासन को कभी साथ नहीं मिला होता और आय हमारे अनेक स्थान बन्दिर पुस्तकालय और ग्रन्थ मंडार नहीं हो। यह विदेशी बाग इस्कान थी जिसका परिचयति है। (२) इस्कान 7 (०१९-२८००)२ इस युग की स्थापना यादी ही मानी जाती है इसमें इस्लाम ने किय पर अधिकार किए। १०वीं और ११वीं बाद में इस्तान की इक्त नहीं और काबुल ही नहीं लाहौर भी हिन्दू के हाथ से गया। इस्लाम म माया के इतिहास में एक काशिकारी पढ़ना है। क
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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