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________________ के अधीन था। बाग (डंगरपुर बासवाड़ा) पर :नकी दूसरी शाखा सामन्त के रूप में राज्य करती थी। स्था समत पश्चिमी राजाधान और दक्षिणी पूर्वी सिन्ध में लोटे छोटे अनेक परमार सामन्त १५वीं शताब्दी तक रहे। उत्तरी राजस्थान में भरी का चौहान राज्य भी महमूद के बाद बहुत अधिक प्रमुखता में पाया और हवीं शताब्दी के उत्तराईध में अवाहिन पाटण का चौलस्य (बोलकी) राग्य भी फिर से संभल बैठा। वा के भीम कोलंकी ने वर्ष की सहायता से भोज पर चढ़ाई की। भीम गोलंकी के उत्तराधिकारी सिद्धराज जयसिंह हुए और कुमारपाल के समय गुजरात का सोलंकी राज्य बहुत कब गया। जयसिंह ने दापुर, चित्तौड़ मेवाड़ का पूर्वी प्रदेश पलिंग बी, और उदयपुर तक प्रदेव जीते। बेडन के पूर्वी तट पर दूर तक हर इसके द्योतक है। मेवाड़ जिल पुनों बाप रावल बात प्रसिद्ध है जिन्होंने भरव माम्मन के समय दाहिर की बड़ी सहायता की। अवन्ति विजय के बाद मेवाड़ डिल पुन गुजराबवालों के सामन्तो गए। मेवाड़ पश्चिम में आ परमार राज्य तथा गलौर माटो रोहान बारम्भ से ही गुजरात मोरपियोंीिन थे।मार पाल के समय भाटी मज्जल या सल, विने (१५) बनेर नगर की स्थापना की, मी पाझयो गाना लिया गया। उ सनेर बीर पनि पूर्वमा कानुषा उतारी और मध्य राजस्थान बीरे पीरबाबरी पाचौहान राज्यों विलीन हो गया। ती पूर्वर पाहायो (-१), अपच के अनेक कवियों को म बिबा दिमा बहाय तथा गुर्जर क्षेत्र में रवित हुई । बिवानों ने इसके दरवार को बैन का है। बी ... कधीरे धीरे हो गया।
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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