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________________ ८२७ ग्रन्थालय में सुरक्षित है। स्तुति संज्ञक रचनाओं में सबसे प्राचीन रचना महरचित सं० १९७० की, जिनदत्त दूरि स्तुति तथा वादि देवसूरि विरचित १२०० की मुनि चंदगुरु स्तुति है। ये रचनाएं अपभ्रंश बहुलर है शिव रचनाओं में से कुछ के माका तथा माव जन्य पर्व काव्यात्मक उदाहरण अलम् होगें जिनदत्त सूरि स्तुति और मुनिगुरु चन्द्रसूरि स्तुति परम्परा में नेपिनाथ स्तुति और विरहमान स्तुति का परिचय दिया जाता है: नेमिनाथ स्तुति हरचना १५वीं बताब्दी की है। प्रकाशित है तथा अभय जैन ग्रन्थालय मै सुरक्षित है। रचनाकार है जयहागर, जिनकी कई कृतियों परवडले. प्रकाश डाला जा चुका है। मादा की दृष्टि से उदाहरण निम्नांकित है। कवि ने बहुत ही संवित रूप में नेमिनाथ का स्तवन पाठ किया है: • वण्ड रखि एक बाडा ते गाइयइ आज लगइ पवाडा जes जी राइमई महेला ने नेमि जोवा मुथ एडूवेला जाने जिम्मा उर मीठा जम जाना सानिय बाजीठा बीजी कहूंबात किसी विचारी, निश्वई वही कर्म इकामम्हारी तिमी नमाज, समधि संतोष क्ला चढावड aterent of anी जामी, बानी जसनाथी मानी विधि व्यायई है नितरी भाषा मार जावई पाहि बाग मे किताका से बसमाग पूरी ती प्रधान भारत राजस्थानी में लिही गई है। तत्सम शब्दों का प्रधान्य है रचना सरस और प्रासादिक है।
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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