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________________ - मरतेश्वर बाइनली चौर. विषय प्रधान रसामों में एक अपने ही प्रकार की रमा परमेश्वर बाहुबली पोर है जो अद्यावधि प्राप्त रखनाओं में पर्याप्त प्राचीनतम है। सं० १४विरचित शालिपारि विरचित मरतेश्वर बाहुबली रास ही अब तक सबसे प्राचीन इति समझ जाती रही है परन्तु महरचना इसमे भी पुरानी है।रचना की भूल प्रति बैसलमेर के सरवरगन्छीय पंचायती भंडार में • m की संग्रह प्रति में लिखी हुई है। यक रचना श्रीभंवर लाल नाहटा ने प्रकाशित कर दी है। रचना की पुम्पिका या अन्य विवरण को देखकर यहस्पष्ट हो जाता है कि यह पर्याप्त महत्वपूर्ण और प्राचीनतम है। घोर संज्ञक रचनाएं अयावधि एक से अधिक नहीं उपलब्ध हो सकी या पोर नाम के कोई मन्द विष वा रखना प्रकार का भी उल्लेख नहीं मिलता अपितु इसके विषय को देखकर यह कहा जा सकता है कि भरतेश्वर और बाहुबली की बुइप वन्य भयानकता के कारण ही कवि ने इसका नाम पर रख दिया है। __परदेश्वर और बाहुबली के साथ का प्रम नया नहीं है। प्राय और संस्कृत में इस क्या पर काबि स कितना है। साथ अनेक पन्बिों और दुर्मिकों की परत बारवाही की पूर्षिया कामको स्पष्ट करती है। प्रति में भी भी नाम नहीं मिलता पर क्योंकि इसका रमाका -वाबड़ी डार सलमेर-स्वाभ्याब अस्किा पत्र -पाक A rc बचपन- देवाला विनामपि बिल्वया माकू आविया बाया स्वाध्यापिका लिविता बाध्यबाना आचंद्राक ४-बीमान हरिपियामिाथ बसि (बसलमेरा।
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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