SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 751
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (८) प्राणियों को प्रकाश कौन देगा? उत्तर है:- ब्रह्मचर्य, सतू अहिंसा का साधन करो तभी जीवन उन्नयन की ओर बढ़ सकेगा। प्रस्तुत रचना में कवि ने दोनों के इन्हीं प्रश्नों का सफलतापूर्वक समाधान किया है। रचना बड़ी सरस है। काव्य तथा भाषा प्रवाह के अध्ययन के लिए कुछ उदाहरण दिन जासकते हैं। (१) (२) (*) ७०८ Near विष अक्सहि निय निय गुरुह भसेसु तो नाम यमाणी कारण जाणी सीसह संसय हरण कर गोयम सी संघ संजुत्तठ केशी, पेलेबिगु भावंड कुसु तिम भाषण आवरि देइ, विनयकरी मोयम वडबे (६) --- ---- बसि रवि तेय सरिस ते मोहइ निम्भल नाण गुणे जग मोहइ बिहु पावि मिलिय पिक्सि विणु लोय कोऊ हलि आवइ सपमोय यो पुषि संसय भंजण रेखी कर जोडे विणु पभबड़ कैसी जो --- प्यारि महब वाचि पयाविय, देहि जयवी जिन भाविक काच इ एक गुरु साचेव किपि कारवि विम free ara जिय रिजावा, मग रिजु महंता (१२) --- eer assfree विधेद्र, किनि कारने क्यि नि परिने दिने विवेचन कोइ जीक क्यूं मन निश्वको वे का चित्र कृपा विच नि स विदेस मि नियमन व राख विशु वृषि केसहि केवली जाऊ दिपाक, बेस विसेस देखि सो बलिया (१७) •
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy