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________________ युद्ध के कुछ उदाहरण देखिय: ६२० दोउ दल सय महार सुनु साजि धनुक कर ल‍ इन साजि लप करवाल, जामिक जीप पवारी काल ममगलसिं मैमल र मिरइ, हैदर हयो हैदर आमिर राजत पाइक मिरे पनारि, पढाइ उठइ जिमवर की वारि केउ हाकड़ के लर के मारमार प्रमण के मिरइ स्मरि रमाजि कायर निक्लइ भाजि 100 d ---- --- कोपा पंथ तब यह बात चढाइ हाथ करिलर चरंग बभिड पचारि कोरण पथ न सकइ सहारि सहड्यो हाथ केंद्र करवाल, निकुल कौवले कर प्रहा हलधर जुक न पूजइ कोइ अलावा लद पहर सोड (मद ४७-४८९ ) युद्ध में प्रद्युम्न द्वारा विद्याओं का प्रयोग (२२३) तथा सबको स्तंभित करना आश्चर्य की पुष्टि करता है। ऐसे स्थलों पर अद्भुत रस की फ्रीकी मिलती है मोहे सण सवल र पट्टे देख बुड विमाणा चढे ठा का रश्विर इयवर पडे, छूटे छत्र जि यमिनि गरे का का मैल पढे अनंत जे संग्राम आहि यमंत्र • सैना कि परी रम बाम, विलस वदन मा केस साम बलियो वीर भाइ यह कवणु (४८६) हा हा काहु कटै महमदपु परस्पर भयंकर युद्ध होने से कहीं कहीं मत्स का भी वर्णन हुआ है। मियों का महराना चारो ओर रक्त की धारा और नरसुड ही नरकुण्ड या यमराज का दुध का भोजन का नियंत्रण देना ature का वर्णन करता है: रहिवर पड़े वर्गव, डाय हाय भयमल नयतु ठाठा बिहार बरार, हाइ ठाइ क्लिक नेवाल गीधीची स्वार करइ पुकार, अनु बगराय जनावहिवार बेगि सा पढ़ी सोड, प्रस आह बिन fara ets
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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