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________________ मारद का आना, सत्यभामा का उनको नमन न करना,नारद का कुमण से सम्मावि का सत्यभामा के भान भंग के लिए विवाह करना, रुक्मानि के भाई से इध व्या हिपाल वध। वैष्णव ग्रन्थों में शिवपाल का वध स्पषि-परिषय में नहीं होता। युधिष्ठिर के राजस्य बन में होता है। इसके अतिरिक्त कृष्ण समामि विवाह का कारण पी वैष्णव ग्रन्थों में सलमामा की नारद की उपेक्षा नहीं है। पूर्व जन्म के वैर के कारण विड्याधर धूमकेतु का प्रतिशोष। शिला के नीचे से जमवर का उच पर लाल पुत्र की तरह पालन कला जबकि वैष्यबन्ध हमछली के पेट से निकला था और मानों ने जाकर उसे राजा को मैट दिया था। पूर्व पब का लगभग सभी वर्णन। प्रद्युम्न को नमसंबर के लड़कों द्वारा अश्नि कुण्ड वे भवानक स्थानों में कुदाना और पुरवित लौट आना। दुध प्रदान कासमीपवर्ती राजाओं को पराजित करना।कनमाला का उसे काम भावना में देखना और प्रेम करना तथा आचल में सिपाने की रेष्टा, प्रज्ञान का निश्वर के पास जाकर उसका कारण पूछना या कामाला से तीन विद्या मागना व जबर के इगों को अपनी । विमानों से पराजित करना। प्रशन का विद्वानों का जलवान, अमिनवान, बाय बाप, आदि अनेक स्त्रों को प्राप्त करना। झाका मन ड राने में प्रन का पीठ ग बेग बनाना, रामारी का प बरना, हमारका बाकर बानर का कम बनाकर नामा माग को स्वाना, ये ब्राहमण का वेश बमार सब मन को शाबाना, स्व का इवार पर रेट बाना, इत्यों को उल्टा टॉम देना, अपनी किसानों से पथ में लव निकों को ति करना।
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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