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________________ ५७० माडी मोहि अविधा नामि नगरी नियुवरा हियड़ा ठ अविद्या-नगरी गढ़ अज्ञान तुष्णा बाइ मीठु मान कदाचा कोसीसाठल प्यारि इगर्ति बहिती पोलि विषय व्याय वा आराम मंदिर अनुमा मन परिणाम कामासन जे कडियां पुरानि बउरावी बटा ते जावि भूरि भवंतर मेरी हुई रूढ बुधिते परि घरि ममता पाणी वालि कुमत सरोवर मियापालि निर्विचार निवet विहा लोक, थोडई उत्त्व थोडई शोक तिमि नगरी इकि धाई यस इकि तालो टेड टैक् स इकि गाइ इकि वाह दूर इकि जाफलइ रनणि सूर इfe नाव इकि कई माल वात करई के ठोकी माल (पद ६०) इस प्रकार अविद्या नगरी में मिथुया दर्शन मंत्री • व्यसन • अंग • निर्गुण संगति समा, नास्तिक बाल मित्र, अमई छत्रवर, जालस सेनापति, छदम् पुरोहित, कुकवि रसोया इस प्रकार मोहराज के असाधारण परिवार का क्रमशः वर्णन किया है। प्रवचन पुरी में अरिहंतराय का वर्णन सुमति और विवेक का विवाह होने पर कवि का नगर वर्णन करने में डूब मन रमा है। वर्मन में भाषा की वरलता, व गौरव और पदलालित्य इष्ट है: इन नगरि रितु राम नवरी सिरि दिई डाकपा स इन्द्र करई त सेव कोड से मई देव लाइन लामा पार अणि त्र सिरि धारिया ता मुक्ति मिट से बावार वनिमय त्रिगड हमर वा अनया बाजड़ भी हाथ का गलन पुन गयम प्रमाण धर्मच मह महल इति विचि नाम जिटलs काटा थाई यो सब कनक कमल ते पाली ब पीड़ पौवारी जागा डर, वह विवेक तक पाम असर (पद ८१-८४)
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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