SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 500
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ देवी देवि नवी कवीश्वर तणी, वापी अमी सारखी विद्या भावातारणी भण्वनी ईशासपी सामिणी बदा दीपति जीपति बरसती. पईवीनती बीनती बोई नैमिमार कैलि निरवी शागिई करी रंजती सरसति सरसति शुभ मानि देवी य देवीय जमि सार रे नील कमल बल सामल जिनवर धरणई नेमिकुमार रे जा रेजण मारणि मयण विडय मंडम गिरि गिरनार रे सुरनर बिरर भितरित कभित फल सकार प्रारम्भ में कवि ने नेमिमार अवतार का वर्णन किया है। रानी शिवादेवी ४ प्रकार के स्वप्न देखती है। कवि ने भिवंबर के जन्म का जनमास काव्य में बड़ा उत्कृष्ट वर्णन करता है: सामी नैमिकुमार यादव जिसिइ, जाड सा सोभागीर आधी राति प्राई समहुई पूमि समी उमासी तीपई कालि कालि शिला फूल्या कति या पाल्या बामा की समीर बीर किरि अमिट न मानकर मानिकपुरषधि प्रहरी हिरे मामि बनम महोत्सव व परि करिवामलिला सादर परमिरि गरिबीर बालकि विनाहिरी सिंगार रे सा ही कवि ने भाविकामा बर्षन किया है। जरासिंधु तथा अन्य पों विरोध और इवारिकापुरी निवास तथा बारिका की छटा और मैमिनार का कप कवि ने सूख चारा है। कवि ने नेमिनाथ के शरीर के मॉग विविध उपमानों के बाद वन विr th
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy