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________________ कवि विनोदिहि सिरिजय सिरिजब सेहर टूरि जै खेल से अपद संपद पामह पूरि फागु में रमणियों और कामिनियों के नृत्य करने और खेलने का उल्लेख भी मिलता है । कवि दूम के नेमिनाथ फागु का उदाहरण एतदर्थ उल्लेखनीय है पीण पयोवर अथकर गुजर चरतीय नारि फागु लइ ते करि करि नेमि जिनेसर बारि ३५६ फागु तेलहि मनरंगहि हंसगमणि मृगनयणि गुणचन्द सूरि ने तो एक वसंत फागु ही लिख दिया है। १५वीं शताब्दी के देवरत्न सूरि फागु में कामदेव, रति और उसके मित्र ade का वर्णन अत्यन्त सुन्दर मिलता है। फागु की इससे उक्त प्रवृत्ति और मी स्पष्ट हो जाती है। चंदन नारंग क्वलीयलवलीय करइ आनंद raat xes बहु मंगिइ रंगिइ मधुकर वृंद aft वनि गायन गायई बायइ मलय समीर safe मावई रमणीय रमणीय नव नव चीर Tags चैक stent करा मयम महीपति मावई राजइ र ईमार --0 प्रमुख मित्र और अन्य में कवि अपने 90% रविना वह बारीक रोख बाबीर रे परिकरि परिकरि गरि रे को का काव्य के अभिप्रेत के रूप में स्पष्ट करता है। १- मुरबाड, मानक्वाड मारिएन्ट सीरीज, १८वा पुष्ध पू०७४ पेन मैं उपलध । प्राचीन य-त्री र माटा की से० १४९३ की पोथी पना २०३०७ संग्रह- ST० की ५० ५५०५६१
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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