SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 360
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३२७ नूतनता है। स्त्री और पर दोनों के रूप वर्णन देखिए: दुबद रायह पद रायह समी कुंवार त स्पह जामलिहिं जिकडं भूमि का नारि नत्थीय सीसी कदर कुसुम कावि नेउर मलई ए नयन समीय काजल रेड तिलठ कसल्यूरीय मवि थडीय करमले कंकण मणि कमका बादर फालीय पहिरन र ई अहर बोलीय इदी बाल, पाम नेजर और पुरुष वर्णन में: समर बाल अनुकंठि कुसुमह माल अनुकंठि कुसुम मा किरि ई यमि भाषण बाबी कोड ईड चंद्र मरि सगरि म इम संभावीय इ (ठवणी ५ पृ० ) क्रीड़ा में हारे हुए पान्डो को और सभा में द्रौपदी को पकड़ कर बीच कर लाने का कवि ने अत्यन्त प्रभावशाली वर्णन किया है। माया की सरलता और वर्णन की चित्रात्मकता से वर्णन और भी सजीव हो उठा है: शक्ति राज विरह मनमानी प हारीया व हाथियं बाट भाईय हारीय रजिस्ट हारीय हक्क चीय उदावि उवि मामरण प ग्रामीय पति परेविदेवि सासर पिडिए बीयर कारि इरीय आदिम आदि उपनिषदि इन प्रणय दिवसरा (-) कि बीट काढवी पीक मोटवर का वाडीय प (ठवणी ६ पू० १७) और भी अनेक काव्यात्मक स्थल है।मदी का कपमाजनक वर्णन कवि ने किया इस बनकर पाने पर भी इन उन्हें पुती है। पिकवाव विन पानई शुष्क उत्तर देता है तो महामुदुध की तैयारियां होती है द्वारा दृश्य उदध में बदल जाता है, मीरता एवं उत्पाद वर्णनीय चित्र कवि धन इम वि
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy