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________________ अपने हिंसक पिता से युद्ध करना ।ती व पाम्ड के पूर्व प्रेम ब संतानोत्पत्ति का प्रसंग। वर परीक्षा व राधविध का बसंग। १. प्रौपदी के स्वयंवर में उसके हाथ में जयमाला पाचों पान्डयों के गले में जा गिरना और चाल मनि का दुपद को द्रौपदी का पूर्व भव समभासक अदृश्य होना।' हरिवंश पुराण में कवि ने अहिंसा से साबित हो मत्स्य बंधक के स्थान पर धनुक बढ़ाने की ही कल्पना की है। पर प्रस्तुत रास में मत्स्य वेध भी है व जयमाला बरण भी। अर्जुन का अनवास में वैतर (वयहढह) पर्वत पर जाकर आदिमा को नमन करना और अपने मणिपुड़ की बहिन को गाकर पुनः उसके पति को देना। युधिष्ठिर का राजसूय या में शान्ति जिनेन्द्र की प्रतिमा का अवस्थापन करना' प्रियंवद का प्रसंग त्या पाण्डवों का पुन: अपने स्वम को प्रडम करना। पान्डवों के जाने पर कुन्नी व द्रौपदी का नमोकार मंत्र का ध्यान करना। पुरोहित का पान्डवों पर हत्या छोड़ना तथा पुलिंद का आकर कृत्या से उनकी रवा करना। कालकुमार ब जीव मा का अग्नि विसर्जन। पान्यों को मेमिनाथ के उपदेशों से मिव होना तथा पीया प्राणा दोष का पूर्व पन बहाना बरमको निर्वा प्राप्ति होगा मावि पटमार गालि राम में अनेक विलोम पापा। परना र सम्ब - गो
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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