SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 297
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ की प्रतिज्ञा कर रखी थी अत: दनवाला ने ही उसे पूरा किया। महावीर को भोजन कराने पर इन्द्र ने १शकरोड़ स्वर्ण मुद्राओं की वी की ओर इन्हीं मुद्राओं को दान कर बदमबाला ने अवस्य प्राप्त किया। वस्तुतः कवि ने रास में वीर कसम और त रस का परिपाक किया है। युद्ध के समय तथा दूटपाट का कवि ने अमा वि क्यिा है: बज्जिय टक्क इक्क मीमाण, मेवावि चिय दुरिव केकाण बल्लिया मंडलिक पउडमार सेलच पण बटिसह मेह करा संग्राम भरि अंगों अंगी पिडीया औरऔर इस इवयव युद्ध के बाद विल्मी ने नगर को पूब लूटा जिस जिसने जो जो चाहा लूट में लूटा- वर्षम की सजीवता इष्टव्य है: हत्यि कुम पति शिविर पाल, भवपडिया की बाडन रार घोड़ा चहि माठि गयर, सीह वित्ता पूर्ण काई पुरय बह गय घड इब उ जीतएं स्त्रयनिय राई (४) यवि लधा रयन मंडार गावि बरा हुमा छार अधि पावित बन्चर बार चोर बरत बाडियां पाक किरीिय पारिवि पिपलिया ) वस्तुतः कवि ने इन वर्षों में घटनायों की प्रथामा बसको मुम्बवा प्रदान की। पूरी या विनानी बार दे मोड। कृति निदान है। पाका बलबीर बना है। याला राग पुरवित मिनी या राम था प्रभाव पारित कायसवार गरी इष्टिकृति का कोई विजयी , पण पाटि पर्व छोटी भाव पूर्ण बन्दाक्ती कारण का पात्यना । भाषा की प्रमुख विशेषता या या शुवरामी और रावत्यानी किन है। रावस्थानी और आप पुराती भोपपारसी भाषा को परेला पुरानी ची का
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy