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________________ से पाठ कहीं कहीं उटित रह गया मिलता है।यह पाठ सं. १४३७ की स्वाध्याय परितका से मिला है।' चन्दनबाला रास एक धात्मक कृति है जिसमें घटनाओं के कुतूहल बड़े विचित्र है। रास की मुख्य बिंदना चारित्रियक पवित्रता, स्त्री समाज में नारी के सम्मान की अपेक्षा, अत्याचार का धमन तथा मान से मानवी की भागीण प्रगति आदि का प्रचार करना है। रास का प्रारम्भ ही कवि मंगलाचरण केसाथ करता है:লিজ থিস প্রথম पुहविहिं परह-खेत्रि वीन वीर जिमंबह पारयो निसुपर चंदन-बात परिस बदनबाला रास बम्पानगरी के राजा दधिवाहन औररानी धारिणी की लड़की थी। चम्पानगरी पर कोशम्बर के राजा बद्रीनीक ने चढ़ाई कर दी। भयंकर अप के बाद शतानीक का एक सेनापति धारिणी और कदन बाला का हरण कर ले गग। धारिणी मे भात्य सम्मान को संक्ट में देख अषयात कर लिया। समाधि में चंदनवाला को एक बार के हाथ बेच दिया।ड की स्त्री में से कारामार की ही बाहय वेबना दी। वनमाला अपने बगीय अयम, बरित्र पर मटकसी ने महावीर को अपने गयो पोषन कराया और स उनी मान को पाई। की इस क्षणाकवि ने बानपारा का है। ३५ डों की इस टीबी रस्मा मे ला का सफल निर्वाह किया है। उसका -- -- - - - - - - मिग पास सभी ३ पुरु श्री विनराम मुरि सदुपदेशन 4.राविधिक विवाभिभूषित पस्तावापाईमाविक्या बालवानी स्वाध्याय पुस्तिका रेबिठा(जैसलमेर बी डारकीप्रति प ) सारडार की प्रति पाक नवासा - राजस्थान भारती .to0I -
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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