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________________ बहुधा के नाम उनके शीर्षक के अनुसार विविध काव्य रूम बन गए. उदाहरणार्थपैडेड रास, समराराम आदि में रास छंद प्रमुख है तो चतुष्पादिका में बउपड़ की, म्थति मद का और अनेक नैमिनाथ फागों में फागु छन्द मिल जाता है। रास छन्द का शास्त्रीय अध्ययन अथवा रासक के काव्य रूपों व शिल्प के विषय में हमें बिरहाक के वृत्त जाति समुन्वय (४1-10 और स्वयंपू के दस से बड़ी सहायता मिलती है।इन दोनों द गस्त्रियों ने रासक की परिभाषाएं दी है। विरहाक के अनुसार रामक बनेक बडिल्लों, दुवाहो, मात्राओं, रड्डाजों और डोसानों के मिलकर बनता है। इसके अतिरिक्त मात्रा रड्डा दोहा, अडिल्ला तथा डोसा की उसने अलग परिमाकाएं दी है। संभवतः विरहाक मे रासकों की दो प्रकार की लोक प्रियता बताई है तथा लिखा है कि रास बंदी के बाद ही उन्होंने "रासा' नामक स्वतंत्रद की परिमाका दी है जिसका डा. हरिवल्लभ पावामी ने संदेश रासक की भूमिका में उल्लेख किया है, तथा दोहा छपिया, पहाड़िया पत्ता चौपाई रहडा, ओढया, अहिल आदि अनेक छंदों का बहुतायत से प्रयोग करने वाली रचनाजों को रासक नाम दिया है उक्त सभी परिमालाओं में प्रयुक्त तथ्यों को कसौटी मान कर चलने में जब हम आदिकालीन हिन्धी जैन साहित्य की रास रचनाओं में राम मन्द को इंडते है तो हमें Ta इन लोग ही लगा है। और इस स्थान का दोग होगा डिल्ल आदि दो से त्वचा मसिद्ध होता था परस्पर बाकि पाध्य भी नहीं दिखाई gara: यी कहा जा सका किन विभिन्न पदों की कमियों को रामक नामदे दिया पाना होगा। राम और राम मियावधि प्राप्त प्रमानों के आधार पर इसके अधिकाना बात गर मही सगापर या स्पष्ट है कि रासक और राम मियों में एक विशेष ममें सूब मिलता है। बिपी इष्टिा अवतार रामों विषयों में विस्तार ए। अनेक विषयों पर राम रकमा निमें प्रमुख विश्व खाति है। t- उपदेशमूलक उपदेश रसान राख १- गारित प्रधान- बारा
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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