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________________ ११७ और वानिकों की दृष्टि से नियति तत्वों का समाहार भी कर लिया गया है। इस प्रकार कार्गकारा पाच गावि-कुल-मद, मान भरिक्षकर्म, अध TO वैराग्य और पति को भी पूरा पूरा स्थान दिया गया है। इम रचनाओं में जैन यापी बास बड़ा मिल जाता है। प्रमाणों wौर परोयको प्रमुख स्थान EिTT है। स्मरण प्रत्यभिज्ञान और अनुमान परोष प्रभाव बार बारी बाभी व किस गप है। मामलों में इनका शिल्प स्वप स्पष्ट होगा। उम्त यो अतिरिका ननियों मार विमानों में पी जाममा बाया। अनेकान्त अथवा स्यादवाद! म्याइबाद मन स्वार और माद वो मयों ना है। स्थार व विसी निश्चित इष्टिकोण का इयो। ही मामय बनेगा पूजा मेगन सक्थन गार्थ स्मारवाद का मा बाबाई का इबरा नाम भनेका बाद गी। भाग लिन ने स्यामार को कामय बर्ष का तक बनला र बालों निवारय नौस स्वम को स्वीगर किनार न यो न ग र्ग , कृष्टि, दिशा मेना. ऐसा करने पोmgefitोने - मारमा सोना स्वाणान्या मित्यानि स्वापस और बा निवाको स्याहार काम्बवाद वा नित्यानित्य मानाबानो गोलोर देखिए-बिद हेम बाल-बापी । amropriatelsentimentoubsistentMLALthat radatd- troduction byir.Karelallahapuger
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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