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________________ १८८ ( रोठा यह च घिर मबलित है। इसको काव्य भी कहते है। इसके प्रत्येक चरम में १४ मात्रा तथा पर यति होती है। याच परवेयर बाइबली रास में व्वणि. (10), वणि १६१९.१४), रेवंतगिरि रामदीन कामक क्रममा रोला, 'पदेशमाला कामय छप्पय संडवे त्रिराज .५४, ente) पथहराम में, समरारा बीसरी भाषा में स्कूलिभद्रमा (रोला ), पबमान्डम चरितरा वपि -) गौतम राम (पाशा ! ही 1-4), में प्रयुक्त हमा है। इसके बम पो ( ४ अथवा rat aar) और विषम पो में अथवा + + माना होती है विसिएः तपय गुरु बामि कोस वेसासरि पत्न वित्तालि बळमावि र सविगा निमres पुण्यबेर संभारि समर समरंगवि पित्र, बिमसामषि जयवंत मुद्ध समरंगवि जित्र (उपदेश माला कहाणय छप्पय ) (ब) देवीपरवा ( क), स्वपि कार बा मोका देसी स(१५-२) बपि mrt+ कापरणा - या व्यपि किन पब में पकार मा दोहा बाम प्रचलित है। ये वाला है। बोनों नाव में पारा प्रयोग किया है। - वैन बनायो काकी कोनियाब रेवगिरि राकी (11) me भसतवती, गान्टिक गरीब, • 1-01
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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