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________________ समकालीन इतिहास-बोध इन दिनों आधुनिकता की चर्चा विस्तृत रूप में की जा रही है। इस चर्चा से इतना लाभ अवश्य हो रहा है कि हमारी दृष्टि वर्तमान पर केन्द्रित हो रही है और साथ ही हम अपने अतीत को वर्तमान के संदर्भ में देख रहे हैं या परख रहे हैं। यह आवश्यक भी है। आधुनिकता, देश एवं कालसापेक्ष होते हुए भी एक बात तो निश्चित रूप में उसमें है- आधुनिकता में - वर्तमान का बोध । दूसरे शब्दों में इसे हम समकालीन इतिहास-बोध कह सकते हैं। आज की पीढ़ी के लेखक इस वोध को व्यक्त करना चाह रहे हैं। एक समय था जब हम वर्तमान को आदर्श नहीं मानते थे, अतीत को आदर्श मानते थे। अतीत के प्रति हम में मोह था। अतीत की कृतियों का अध्ययन इस नाते किया जाता था कि हम फिर से अतीत के स्वर्णिम जीवन को जीने में समर्थ हो जाएं। आज यह स्थिति नहीं रह गई है। नई पीढ़ी का लेखक अतीत को अतीत के संदर्भ में देखते हए, उसकी वर्तमान उपयोगिता पर भी विचार करता है। यह शुभ है और समय के अनुकूल है। आधुनिकता अपने आप में अपरिहार्य होती है। इतिहास की धारा को कोई रोक नहीं सकता। यह होने पर भी आधुनिकता के प्रति अपनाए गए दृष्टिकोणों में अन्तर होता है । इस दृष्टिकोण के आधार पर ही आधुनिकता के सम्बन्ध में
SR No.010027
Book TitleAadhunikta aur Rashtriyata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajmal Bora
PublisherNamita Prakashan Aurangabad
Publication Year1973
Total Pages93
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Social
File Size10 MB
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