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________________ समकालीन इतिहास-बोध न रह जायगी।"१ यहाँ पर इस विवाद में नहीं पड़ना है। कहना यही है कि वैज्ञानिक उपलब्धियों के प्रति हमारे देखने का. दृष्टिकोण क्या है ? क्योंकि यही वह दृष्टिकोण है, जिसके आधार पर यह परखा जा सकता है कि हम कितने आधुनिक हो गए हैं। हम कितने आधुनिक हो गए हैं ? हमारा आधुनिक बोध किस कोटि का है? भविष्य के प्रति हमारा दृष्टिकोण अतीतोन्मुख है या आधुनिक उपलब्धियों के संदर्भ में बदलते मानदण्डों से है ? आदि का उत्तर हमें वर्तमान साहित्य को देखने से मिल जाएगा। साहित्य को वर्तमान प्रवृत्तियाँ ही हमें यह कह सकती हैं कि हमारी आधुनिकता किस कोटि की है? इस दृष्टि से सन् १९४७ के बाद का साहित्य काफी बदला हुआ लगता है। आज का साहित्य बुद्धिवादी एवं यथार्थोन्मुख होता जा रहा है। सामयिक समस्याओं की चर्चा भी उनमें हो रही है। अतीत की चर्चा भी यदि होती है तो उसे वर्तमान संदर्भ में देखा जाता है। यह सब भी स्थिति-व्यक्तिसापेक्ष है। आधुनिक बोध की विवृत्ति जिस रूप में भी हो रही है, वह हमारे मानस का विश्लेषण करनेवाली सिद्ध होने के प्रयत्न में है। आधुनिक बोध एक अर्थ में समसामयिक के प्रति अपनाया गया यथार्थ बोध है। इस अर्थ में यदि अतीत हमारे मानस में जी रहा है तो वह वर्तमान के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को अपना कर जी रहा है या नकारात्मक? हमारा मानसिक द्वन्द्व किस कोटि का है ? हमारे बाह्य जीवन एवं आन्तरिक जीवन में कितना वैषम्य है और इस वैषम्य के कारण जीवन में किन असंगतियों का निर्माण हो रहा है आदि की विवृति प्रमुख रूप में साहित्य में हो रही है। इन सब का विश्लेषण करने के लिए यहाँ स्थान नहीं है। यहां इतना ही कहना अभिप्रेत है कि पहले की तुलना में आज का साहित्य समसामयिक बोध से अधिक ग्रस्त है। वह बीते हुए कल की तुलना में आज पर विचार करना और आज की पीड़ा को व्यक्त करना. अधिक अच्छा समझ रहा है। इस बात को कुछ विस्तार के साथ देखें। कबीरदास एवं तुलसीदास इन दोनों महाकवियों की तुलना इस संदर्भ में करें। इस संदर्भ से तात्पर्य उनके अपने युग के आधुनिक बोध से । निश्चित ही कबीर को तुलसी की १. वैज्ञानिक परिदृष्टि -- बट्रेंड रसेल -- ( अनुवादक : गंगारतन पाण्डेय ) पृष्ट ४३.
SR No.010027
Book TitleAadhunikta aur Rashtriyata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajmal Bora
PublisherNamita Prakashan Aurangabad
Publication Year1973
Total Pages93
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Social
File Size10 MB
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