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________________ पृष्ठभूमि हिन्दी कथा - साहित्य का आविर्भाव कदाचित् उन्नीसवीं शताब्दी के हिन्दी साहित्य की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण घटना है । अनेक दृष्टियों से उन्नीसवीं शताब्दी साहित्य के परिप्रेक्ष्य में उल्लेखनीय स्थान रखती है । इस काल में यद्यपि एक लम्बी दासता को ही प्रसार मिला, किन्तु अभी तक के विदेशी शासनों में सर्वाधिक आधुनिक चेतना - सम्पन्न और 'नवोन्मेष की भावना से पूरित शासन के संपर्क में आने के पश्चात् नवीनता की ओर गतिशील होने को व्याकुल भारतीय संचेतना को एक प्रकार से दिशा मिली और यहाँ के सामाजिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक जीवन में चतुर्मुखी परिवर्तन हुए । उन्नीसवीं शताब्दी की यह एक महान् उपब्ध है । देशी और विदेशी (विशेषत: अँगरेज़ी) साहित्य की श्रेष्ठ पंरपराओं को आत्मसात् कर लेने का परिणाम उसी समय श्रेयस्कर एवं रुचिकर प्रतीत होने लगा था । भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की विविध रचनाएं, भूमिकाएँ एवं उनके भाषण इसी तथ्य की ओर संकेत करते हैं । सच बात तो यह है कि इस नवजागरण काल ने जिस भारतीय जन 'को जन्म दिया, उसने पूरी शक्ति, उमंग और आत्मरक्षा की भावना के साथ अपने युग की चुनौती स्वीकार की । हिन्दी की नवीन साहित्यिक चेतना के मूल में वाह्याक्रमणों का अभाव, प्रांतरिक शान्ति, वैज्ञानिक आविष्कारों और औद्योगीकरण का प्रचार, शिक्षित जन संख्या में वृद्धि, 'राजा कृष्ण समान' वाली भावना के स्थान पर जनसत्तात्मक मानवसापेक्ष्य उदार विचारधारा और मध्यम वर्ग का जन्म, दास प्रथा का निषेध, स्त्रियों तथा समाज के अन्य उपेक्षित समुदायों में शिक्षा का प्रचार और וך
SR No.010026
Book TitleAadhunik Kahani ka Pariparshva
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages164
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Literature
File Size18 MB
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