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________________ .. सूत्र विभाग रक्खंतु मम रोहिणी पण्णत्ती, वञ्जसिंखला य सया।। वजंकुसि चक्केसरि, णरदत्ता कालि महाकाली ॥५॥ गोरी तह गंधारी, महजाला माणवी अ वइरुट्टा। अच्छुत्ता माणसिआ, - महमाणसिआउ देवीओ ॥६॥ जक्खा गोमुह महजक्ख, तिमुह जक्खेस तुंबरु कुसुमो ।। मायं विजय अजिंआ, बंभो मणुओ सुरकुमारो ॥७॥ छम्मुह पयाल किण्णर, गरुडो गंधव्व तह य जक्खिदो । ___ कूबर वरुणो भिउडी, गोमेहो पास मायंगो ॥८॥ देवीओ चक्केसरि, अजिआ दुरिआरि कालि महाकाली । अच्चुअ संता जाला, सुतारया सोअ सिरिवच्छा ॥९॥ चंडा विजयं कुसि प ण, इति णिव्याणि अच्चुआ धरणी। वहरुट्ट दत्त गंधा, रिअंब पउमावई सिद्धा ॥१०॥ इअ तित्थरक्खणरया अण्णेवि, सुरासुरी. य चउहा वि । वंतर जोइणिपमुहा, कुणंतु रक्खं सया अम्हं ॥११॥ . एवं सुदिडि सुरगण, सहिओ संघस्स संति जिणचंदो । ___ मज्झवि करेउ रक्खं, मुणिसुंदर सूरि थुअ महिमा॥१२॥ इअ संतिणाह सम्म दिठी, रक्खं सरइ तिकालं जो। . ___ सब्बोवद्द वरहिओ, स लहइ सुह. संपयं परमं ॥१३॥ तवगच्छगयण दिणयर, जुगवर सिरि सोम सुंदर गुरूणं । सुपसायलद्ध गणहर, विजासिद्धी भणइ सीसो ॥१४॥ खरतरगच्छीय पच्चक्खाण सूत्र ... णमुक्कार सहिअ पञ्चक्खाण । उग्गए सूरे णमुक्कार सहिअं पञ्चक्खाई चउब्विहपि आहारं, असणं, पाणं, खाइम, साइमं, अण्णत्यणाभोगेणं, सहसागारेणं, विगइओ, पञ्चक्खाई, | अण्णत्थणाभोगेणं, सह सागारेणं, लेवा लेवेणं, गिहत्य संसिडेणं, उक्खित्त walechhlallast-dalathiasatulatohtudislndlalahakalesdarthakoasal-datakskediahdootoshonakasisatanisuhabdalodlodladhketarinidadlodaliwalalawadarlidalaknoladkiatasaikshialistikarladkalaakelalelpolatalashtathhina tanhalaferikhe
SR No.010020
Book TitleJain Ratnasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuryamalla Yati
PublisherMotilalji Shishya of Jinratnasuriji
Publication Year1941
Total Pages765
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size32 MB
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